पारसनाथ। साल 2020 में कोविड-19 की महामारी ने ऐसा तबाही मचायी कि छोटे-बड़े हर तबके के लोग इसकी चपेट में आ गए। सभी व्यवसाय ठप हो गया। पिछले दस माह से यात्रियों का आना बंद है ऐसे में मधुबन शिखरजी के पवित्र भूमि पर संचालित लगभग 35 संस्थाओं की हालत खराब है कई संस्था तो ऐसे हैं जो अपने संस्था के भीतर कार्यकर्त कर्मचरियों के वेतन भुगतान कर पाने में सक्षम नही है।अब तो 2021 की ओर इशारा करते हुए संस्था के संचालक व प्रबंधक कहते है इस साल तो स्थिति में सुधार नही हो पायेगा अब तो तीर्थयात्रियों का आगमन जिस प्रकार हुआ करता था 2021 में ही होगा।हाल के दिनों में सरकार की गाइडलाइन ढीली पडते ही इक्का दुक्का यात्रियों का आगमन शरू हुआ है जबकि दिसम्बर माह में लगभग 5 दिसंबर से 15 दिसम्बर तक यात्रियों का जमावड़ा मधुबन पारसनाथ में लगता था तीस से चालीस हजार की संख्या में जैन यात्रियों का भीड़ भाड़ हुआ करता था। यहां के व्यवसायियों को उम्मीद है कि नए साल में पारसनाथ में पर्यटक आने लगेंगे तो इससे पूरे जिले की अर्थव्यवस्था में सुधार हो जाएगा।
कोरोना ने पर्यटकों को किया दूर : अब सुधार की उम्मीद
कोविड 19 से सबसे ज्यादा नुकसान पारसनाथ में संचालित संस्थाओं को हुआ है। मधुबन पारसनाथ के अर्थव्यवस्था ही चौपट हो गयी है अब तो पारसनाथ के स्थाई दुकानदार की बात करें या फिर जैन संस्थाओं की सब की नजर अब 2021 की ओर है 2021 के आगमन से ज्यादा खुशी लोगों को 2020 की विदाई की है। क्योंकि यह साल कोरोना ने पूरा बर्बाद कर दिया।
10 माह बाद 29 दिसंबर को हुआ भव्य आयोजन
कोरोना के बाद 10 माह के बाद दिसंबर में शाश्वत तीर्थ स्थल मधुबन के विमल समाधि मंदिर में तीन दिवसीय आचार्य विमल सागर के 26वें उर्धवाराेहण महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर कई राज्यों से हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। 10 माह बाद यहां भव्य जुलूस भी निकला। जिससे यहां के व्यवसायियों में काफी उम्मीद जगी। कोरोना महामारी के बाद लोगों की उम्मीद टूट चुकी थी, यहां का व्यवसाय ठप पड़ गया था। लेकिन 28 दिसंबर को यहां कार्यक्रम में हजारों लोगों का जुटान हुआ। जिससे यहां का व्यवसाय एक बार फिर चमकने लगा। आचार्य श्रीविमल सागर जीकी प्रतिमा पर अभिषेक, पूजन व विधान किया गया। फिर दोपहर को गुणानुवाद व गुरु पूजन किया गया। मंगल आरती, भजन व रात्रि जागरण भी हुआ।
— अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी