जहाजपुर। स्वस्तिधाम गर्भ कल्याण महोत्सव पर मध्यांन बेला मे आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि संस्कार का जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। उन्होने कहा आज भी राम हो सकते हैं, यदि कौशल्या जैसी माता और दसरथ जैसे पिता हो। उन्होंने कहा गर्भकल्याण के दिन मै यही कहूँगा बूचड़खाने औऱ गर्भपात निंदनीय हैं। जो माता 6 आवश्यक पालन करती है उसकी संतान भी संस्कारित होगी। राजा चंद्रगुप्त पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कुशल शासन किया लेकिन राजपाठ त्याग कर संयम अंगीकार कर मुनि दीक्षा ली और समाधि को प्राप्त हुए। उन्होंने कहा आज सराक बंधु अपने नाम भगवान के नाम से रखते उन्होंने 1991 शिखर जी वर्षायोग के समय इन सराक बन्धु ने मांसहार त्याग कर शाकाहार को अपनाया।
— अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी