छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के जैन मंदिर में विराजमान सौ वर्षीय जैन साध्वी अपने हौसले, संयमित जीवन शैली के चलते कम दिनों में ही कोरोना को मात देकर सामान्य दिनचर्या में वापस आ गई हैं। अधिक उम्र में संक्रमण के कारण स्थानीय जैन समाज और देशभर में उनके अनुयायियों में चिंता बनी हुई थी।
बागबाहरा के विमलनाथ जैन मंदिर में विराजित सौ वर्षीय जैन साध्वी पुष्पा श्रीजी को कोरोना ने 13 मई को अपनी चपेट में लिया था। चूंकि जैन साधु संतों के पास किसी भी तरह का परिचय पत्र नहीं होता है, जिसके कारण वे वैक्सीन से भी वंचित रहीं और सौ वर्ष की उम्र होने की वजह से समाज जन उनके स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा चितिंत थे।
यहां यह बता दें कि पूरे देश में खरतरगच्छ संघ में पुष्पा श्रीजी मसा सबसे अधिक उम्र की हैं, 36 वर्ष की उम्र में दीक्षित हुई जैन साध्वी पिछले आठ वर्षों से स्थानीय जैन मंदिर में विराजमान हैं, उनके कोरोना संक्रमण से ठीक होने की खबर से उनके अनुयायियों को राहत मिली है।
अरिहंत जैन ने बताया कि रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद से ही शासकीय अस्पताल के डा. योगांक चंद्राकर की देखरेख में दवाई चालू की गई। मंदिर परिसर में ही आइसोलेशन में रहे साध्वी नियमित दवा सेवन करती रही और साधु जीवन का संयम इस बीमारी को ठीक करने में ज्यादा कारगर रहा, क्योंकि जैन साधु रोज गर्म पानी ही ग्रहण करते हैं।
जैन साध्वी पुष्पा श्रीजी मसा ने आइसोलेशन अवधि पूर्ण करने के बाद सभी लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण को हल्के में ना ले और समय रहते ही अपने आप को आइसोलेट कर इलाज शुरू कर दें, ताकि संक्रमण बढ़े मत। उन्होंने कहा कि नियमित योग, गर्म पानी, संतुलित पौष्टिक आहार और सकारात्मक विचार कोरोना से जंग जितने में सहायक है।