आगरा के हरीपर्वत स्थित एमडी जैन मंदिर में भगवान 1008 भगवान नेमिनाथ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा वि कल्याण कामना महायज्ञ महोत्सव के दौरान आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज ने प्रवचन देते हुए बेटियों को बचाने और बच्चों को संस्कारवान बनाने का उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि हमारी असली पूंजी तो हमारे बेटे-बेटियां ही हैं। यदि ये संस्कारवान और चरित्रवान बनेगे तो आपका और उनका पूरा जीवन खुशियों और उल्लास से परिपूर्ण रहेगा।
पंचकल्याण में गर्भ कल्याणक की उत्तर रूप प्रक्रिया अखिल भारतीय तारण तरण जैन युवा परिषद के केंद्रीय इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमंत सेठ, विकास समैया, महामंत्री पंकज जैन, कोषाध्यक्ष सिद्धार्थ समैया, युवा परिषद के प्रांतीय इकाई के अध्यक्ष नितिन सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में ब्रह्मचारी जयकुमार निशात टीकमगढ़ के सानिध्य में प्रात: भगवान का अभिषेक और गर्भकल्याणक पूजा की गई। इसके बाद आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज और आचार्य मेरु भूषण जी महाराज के सानिध्य में धर्म समा का आयोजन हुआ।
धर्म सभा के दौरान समाज के वरिष्ठजनों ने आचार्यश्री को श्रीफल भेंट किया। इसके बाद भगवान के चित्र का अनावरण शिखर चंद्र जैन सिंघई, केके जैन, अशोक जैन द्वारा किया गया। दीप प्रज्ज्वलन रुपेश जैन, सुधीर कांत जैन, मनोज जैन ने किया। आचार्यश्री का पाद-पक्षालन एवं जिनवाणी भेंट श्री निर्मल जैन दिल्ली वालों के परिवार ने किया। इसके बाद एक विशाल धर्मसमा आयोजन शुरु हुआ। धर्मसभा में आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज ने कहा कि गर्भ में शोधन के लिए देवी मां की सेवा करने पहुंचती हैं, उसे जन्म लेने से पूर्व ही मार दिया जाता है। ममता की मूरत कहलाने वाली मां इतनी निर्दयी और कठोर कैसे हो गई है कि वह अपनी ही संतान का भक्षण कर रही है। उन्होंने गर्भपात जैने कुकृत्य को रोकने को कहा।
संस्कारों का महत्व बताते हुए आचार्यश्री ने कहा कि सोना संस्कृत हो जाता है, तभी शरीर की शोभा बढ़ाता है। इसी तरह आने वाले भविष्य (बच्चों को) संस्कार दीजिए। आयोजन में मुरैना, दिल्ली, अलीगढ़, फिरोजाबाद सहित अन्य कई स्थानों से आये श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इसके बाद दोपहर 01.00 बजे माता की गोद भराई का कार्यक्रम शुरू हुआ। सायं 07.00 बजे आरती और रात में 08.00 बजे महाराज सुमुंद्र विजय दरबार लगाया गया। माता के सोलह स्वप्नों का मंचन सहित 56 कुमारियों द्वारा सेवा आदि का कार्यक्रम हुआ।