पारणे के साथ सम्पन्न हुई तपस्या।
बाड़मेर, 07 नवम्बर। उपधान तप जैसी उग्र तपस्या का समापन श्री सुखसागर उपधान तप समिति, बाड़मेर द्वारा आराधकों को पारणा करवाकर किया गया। पारणा कार्यक्रम उपधान समिति व लाभार्थी परिवार ने आराधकों को प्रातः 8.30 बजे पीरचंद हंजारीमल वडेरा भवन में पारणा करवाकर सम्पन्न करवाया।
श्री सुखसागर उपधान तप समिति, बाड़मेर के मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ ने बताया कि 51 दिवसीय उपधान तप की आराधना करने वाले आराधकों को जैनाचार्य जिनपीयूषसागर सूरीश्वर महाराज की निश्रा में पारणा करवा कर इस तपस्या की पूर्णाहुति की गई। उसके पश्चात् आराधकों के परिवारजन द्वारा आराधकों को गाजे-बाजे के साथ घर-घर में स्वागत किया जहां पर जैन समाज की गली-गली में श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आ रही थी। हर कोई महिला-पुरूष आराधकों को माला पहनाने के लिए आतुर थे।
आचार्यप्रवर ने किया चैहटन की ओर विहारः- खरतरगच्छ चातुर्मास समिति के अध्यक्ष गौतमचंद डूंगरवाल ने जैनचार्य जिनपीयूषसागर सूरीश्वर महाराज आदि ठाणा का बाड़मेर नगर में ऐतिहासिक वर्षावास में शासन प्रभावना के अनेक कार्यक्रम सम्पन्न करने के बाद चातुर्मास सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर चातुर्मास समिति द्वारा विदाई समारोह का आयोजन किया।
आचार्य जिनपीयूषसागर सूरीश्वर महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि जब हम बाड़मेर नगर में आये थे तब हमारे सब कुछ नया-नया था लेकिन आज हम जब यहां से प्रस्थान कर रहे है तो सब कुछ पुराना लग रहा है। आचार्य प्रवर पुरानी हो गई बस्ती, पुराना आशियाना है… ये पंक्तियां गुनगुनाई। आचार्य प्रवर ने कहा कि संतों को कभी विदाई नहीं दी जाती है, विदाई तो उन्हें दी जाती है जो लौटकर नहीं आता है। जब भी मौका मिला बाड़मेर जरूर आयेगे। बाड़मेर नगर की जनता का प्रेमभाव, स्नेहभाव हमें सदैव याद रहेगा। आचार्य प्रवर ने बाड़मेर जनता से वर्षावास के दौरान किसी प्रकार की त्रुटि आदि होने की क्षमायाचना की।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डा. बी.डी. तातेड़ ने कहा कि आचार्य प्रवर का बाड़मेर नगर का प्रवास स्वर्णिम प्रवास रहा जिसे बाड़मेर नगर की धर्मप्रेमी जनता कभी भूला नहीं पायेगी। सकल संघ की यही विनंती है कि आचार्य प्रवर कुछ दिन ओर बाड़मेर नगर में प्रवास करे लेकिन आचार्य प्रवर के आगामी शासन प्रभावना के कार्यों को मध्यनजर रखते हुए हम इतना ही कहेगें की बाड़मेर की जनता को कभी ने भूलाएं। खरतरगच्छ चातुर्मास समिति के पदाधिकारियों व सदस्योंगणों ने आचार्य प्रवर से चातुर्मास के दौरान किसी प्रकार की त्रुटि हुई हो तो मन-वचन काया से मिच्छामि दुक्क्ड़म किया तथा आचार्य प्रवर को काम्बली ओढ़ाई। तत्पश्चात् आचार्य प्रवर ने मांगलिक सुनाकर कुशल वाटिका की ओर विहार किया। रात्रि विश्राम कुशल वाटिका में रहा। बुधवार को सुबह प्रवास निम्बड़ी माताजी मंदिर में रहेगा। 9 नवम्बर को चैहटन नगर में भव्य नगर प्रवेश होगा।
- चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़