राजस्थान के किशनगढ़ के मदनगंज में मुनि पुगंव श्री सुधा सागर जी ससंघ का चातुर्मास चल रहा है। उन्होंने प्रवचन के दौरान कहा कि जब जवाई ससुराल में जाता है तो कुछ लोग स्वयं को अमीर मानकर सासू द्वारा दिये रुपये लेने से मना कर सेते हैं। उनको लगता है कि इनकी मुझे क्या जरूरत है। मेरे पास कोई कमी नहीं है। आप ऐसा कतई न करें क्योंकि यदि आपने ऐसा किया तो आपके बुरे दिनों की शुरूआत होने वाली है। यहां जानना और समझना जरूरी है कि सासू आपको गरीब मानकर नहीं बल्कि जवांई को शगुन के तौर एवं आपके सम्मान स्वरूप देती है। इसे गरीबी-अमीरी की नजर ने मन देखों। उक्त उद्गार किशनगढ़ के आर के कम्युनिटी सेंटर में चल रहे प्रवचन के दौरान मुनिश्री सुधा सागर जी ने कही।
उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग आजकल शादी में भी दिया जाने वाला शगुन (लिफाफा) लेने से मना करने लगे हैं। ऐसा मत करो वरना मिट जाओगे। लिफाफे में नोट नहीं बल्कि उनके द्वारा आपके प्रति श्रद्धा और सम्मान है, जिसे न लेकर आप देने वाले का भी अपमान कर रहे हो। मुनिश्री ने कहा कि मां-बाप दस-दस बेटों का पालन-पोषण कर लेते हैं। उन्हें पढ़ाई कराने या उन्हें व्यापार कराने के लिए कर्जा तक लेना पड़ता है तो वे खुशी-खुशी लेते हैं। किंतु ये बेटे मिलकर मां-बाप का बुढ़ापा नहीं निकाल पाते। उन्हें बूढ़े मां-बाप का खर्चा आंखों में चुभने लग जाता है।
मुनिश्री ने प्रवचन के दौरान श्री आदिनाथ मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करने पर जोर देते हुए कहा कि आदिनाथ भगवान की कृपा से किशनगढ़ में कितने ही मकान बन गए। छोटे से बड़े बन गये, घर से महल बन गये किंतु 1 साल से ज्यादा होने के बाद भी अभी तक मंदिर क्यों नहीं बन सका? उन्होंने कहा कि एक-एक व्यक्ति मिलकर समाज बनता है। जब तक ऐसा भाव नहीं आएगा कि ये मंदिर मेरा है, मेरे आदिनाथ भगवान का है तब तक मंदिर का कार्य शुरू नहीं हो सकता। हम कहते हैं कि ये मेरी पत्नी, ये मेरे पिताजी, ये मेरा बेटा है तो फिर मंदिर की बारी आने पर ऐसा क्यों नहीं हो पाता? यदि ऐसे भाव मंदिर के लिए हो जाएं तो मुझे पता है कि किशनगढ़ जैन समाज के पास पैसों की कमी नहीं है। आप सबको सिर्फ अपने भावों को बनाना है। मंदिर स्वत: ही बन जाएगा।
कार्यक्रम में चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन और पाद प्रक्षालन इरासमिक मार्बल मकराना के संदीपकुमार शशांक कुमार प्रतीक कुमार अपार मनन गोधा परिवार वालों को मिला। इस अवसर पर निहालचंद पहाड़िया, प्रकाश गंगवाल, सम्पतकुमार दगड़ा, निरंजन बैद, नौरतमल पाटनी, एम.के. जैन, अतुल लुहाडि.या, विजय काला, महेन्द्र पाटनी, प्राणोश बज, मिलापचंद जैन, अशोक पाटनी, मांगीलाल झांझरी, कैलाशचंद पाटनी, विद्याकुमार जैन, सुशिल गंगवाल, अशोक पापल्या, हेमन्त झांझरी, आदि समाज के लोग उपस्थित थे।