जैसलमेर। राजस्थान हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जे.एम. चन्दाणी ने जैसलमेर स्वर्णनगरी के जैन मंदिर दिव्य स्तंभो से सजा जिन मंदिर का रंग मंडप तोरण द्वार की अनुठी कारीगरी कला सौदर्य अपने आप में अनूठा है। उन्होने यहां जौ के जितना मंदिर व तिल के आकार की प्रतिमा का सूक्ष्मता से अवलोकन किया। चन्दाणी मंदिरो की विषिश्ट वास्तुकला शिल्प सौ्रदर्य एवं मूर्तिकला को देखकर अभिभूत से हो गए। उन्होने कहा कि जैसलमेर कला वैभव का अदभूत खजाना है। इसके समूचित संरक्षण की सुव्यवस्था की जानी चाहिए ताकि आने वाली पीढियों को यहां की समृद्व सांस्कृतिक विरासत का अवलोकन कर सके।
उन्होने पार्श्वनाथ भगवान की पूजा अर्चना के साथ आरती की। सोमवार को जोधपुर हाईकोर्ट के न्यायाधीश जे.एम चन्दाणी का सोनार किले में स्थित श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ मंदिर परिसर में श्री जैसलमेर लौद्रवपुर पार्ष्वनाथ जैन श्वेताम्बर ट्रस्ट के तत्वावधान में परांपरगत ढंग से स्वागत किया गया। ट्रस्ट के ट्रस्टी शेरसिंह राखेचा, क्षैत्रीय सभा अध्यक्ष राजमल जैन, महेन्द्र भाई बापना ने उनका तिलक, साफा व माल्यार्पण कर मांगलिक श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट किया। उन्होने सपरिवार चिंतामणी पार्श्वनाथ भगवान की २०७० साल पुरानी मृणमयी मूर्ति के दर्शन किये जिसपर विषुद्व मोतियो के पाउडर का पेश्ट बनाकर विलेपन किया गया है। उन्होने मंदिर के तोरण द्वार, रंग मंडप व गुढमंडप तथा प्रदिक्षणा पथ का भ्रमण किया तथा ज्ञान भंडार में संग्रहित ताडपत्रो व भोजपत्रो पर स्वर्ण व रजत चित्रांकित दृश्यों का अवलोकन किया।
उनके साथ ही जैसलमेर की सी.जे.एम पुर्णिमा गौड बाडमेर के ऐ.डी.जे चक्रवर्ती महेचा, सुषील गोपा, हुकमसिंह, सुनीलकुमार भी उपस्थित थे। उन्होने दोपहर में अमरसागर के जैन मंदिर व जैसलमेर की राजधानी लोद्रवा तीर्थ के दर्षन किए। वहां पर ट्रस्ट के सहमंत्री नेमीचंद जैन, कोशाध्यक्ष मनोज राखेचा, सुमेरमल जिन्दाणी, राजमल जी राखेचा, षेरसिंह राखेचा, व्यवस्थापक चेतन बम्ब व दलपत मेहता ने अगवानी की। लौद्रवा तीर्थ की विस्तार से जानकारी देते हुए महेन्द्र भाई बापना ने बताया कि पूर्व में यह भाटी राजपूत षासको की राजधानी थी। यहां पर १८०० जैन परिवार निवास करते थे। यहां का कल्पवृक्ष व अधिश्टायक दैव का चमत्कार आज भी जगविख्यात है।
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