जैन मुनिश्री विशल्य सागर जी मुनिराज के द्वारा भव्य जेनेश्वरी दीक्षा


परम पूज्य राष्ट्रसंत आचार्य श्री विराग सागर जी महा मुनिराज के मंगल आशीर्वाद से उनके परम प्रभावक शिष्य झारखंड राजकीय अतिथि, सराक केसरी, श्रमण श्री विशल्य सागर जी मुनिराज के कर कमलों से ब्रह्मचारी संतोष भैया की ऐलक दीक्षा संपन्न हुई जिनका नाम तत्वार्थ सागर रखा गया।

विश्व शांति महायज्ञ चतुर्थ दिन आज जैन संत गुरुदेव विशल्य सागर जी ने अपने हाथों से दीक्षार्थी ब्रह्मचारी संतोष भैया को जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान की। जैन धर्म के विधि-विधान संस्कारों से सुसज्जित कर उन्हें गुरुदेव ने ऐलक दीक्षा प्रदान की उनका नया नामकरण करके उनका तत्वार्थ सागर मुनिराज नाम रखा गया। दीक्षा का ऐसा अद्भुत कार्यक्रम में भारतवर्ष के कई राज्यों से सैकड़ों जैन धर्मावलंबी शामिल हुए। दीक्षार्थी संतोष भैया ने मुनि श्री के चरणों में शीश झुका कर दीक्षा देने की आग्रह की। मुनि श्री ने सर्वप्रथम केश लोंच कर माथे पर साथिया बना कर ऐलक दीक्षा के संस्कार किये।

मुनि श्री 108 विशल्य सागर जी महाराज ने संतोष भैया को दीक्षा प्रदान करने के बाद उनका नामकरण ऐलक 105 तत्वार्थ सागर जी महाराज रखा गया। तत्वार्थ सागर जी को पीछी देने का सौभाग्य महायज्ञ नायक शांति लाल छाबड़ा की पुत्री नीलम कटारिया दिल्ली और गुवाहाटी के साथ कमण्डल देने का सौभाग्य सुरेंद्र-सरिता सौरभ काला को प्राप्त हुआ। बाल विसर्जन करने का सौभाग्य रीना रोनक बड़जात्या को प्राप्त हुआ। वस्त्र देने का सौभाग्य समाज के मंत्री ललित नीलम सेठी के परिवार को प्राप्त हुआ। इसके साथ ही मुनि श्री का पाद प्रक्षालन चक्रवती सुशील-शशि छाबड़ा के परिवार, शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य प्रदीप मीरा युगांत छाबड़ा को प्राप्त हुआ।

इस अवसर पर मुनि श्री 108 विशल्य सागर जी मुनिराज ने कहा कि जैन धर्म में दीक्षा के बिना मोक्ष को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। जेनेस्वरी दीक्षा आग पर चलने का नाम है। दुनिया की सभी मोह माया को त्याग कर आत्म कल्याण में लगना ही कार्य है। दीक्षा के बाद बिना बर्तन के एक ही समय हाथों में भोजन करना। पैदल पूरी दुनिया का भर्मण करने के साथ कम सोना, किसी भी प्रकार का परिग्रह नही रखना है, केवल तीन उपकरण पीछी,कमण्डल ओर शास्त्र ही अब आप के साथ रहेगा बाकी कीसी भी तरह की भौतिक चीजो का संग्रह नही रखना है और अब किसी से मोह माया नही रखना है। सभी को एक समान देखना है और आशीर्वाद देना है। प्रभु भक्ति दुनिया की सर्वोच्च भक्ति है हमें अपने जीवन में ऐसे बड़े बड़े धार्मिक अनुष्ठान यज्ञ आदि करते रहना चाहिए तभी पाप कर्मों से छुटकारा मिलता है।

पूर्व संदया पर जैन महिला समाज की नीलम सेठी,आशा गंगवाल,सुनीता सेठी के निर्देशन में डांडिया का भव्य कार्यक्रम किया गया ।डांडिया मे भगवान की भक्ति और गुरुदेव के जयकारों से मिश्रित भजन और संगीत प्रस्तुत किए इस महा अनुष्ठान को सफल बनाने में रायपुर से आए विद्वान प्रतिष्ठा चार्य अजीत जैन शास्त्री, अलका दीदी, भारती दीदी ,कविराज अखिलेश बंसल, सुरेश झाझंरी, किशोर पांड्या , विधान संयोजक नरेंद्र झाझंरी, राज छाबड़ा,दिलीप बाकलीवाल, पंडित अभिषेक शास्त्री, चतुर्मास संयोजक सुरेंद्र काला ने अपना योगदान दिया।

— राजकुमार अजमेरा, नवीन जैन


Comments

comments