महाभारतकालीन एवं जैन तीर्थकरों की पावन भूमि हस्तिनापुर में तीर्थधाम चिदायतन का शिलान्यास गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मृदुला सिन्हा ने कहा कि हस्तिनापुर पौराणिक एवं एक ऐतिहासिक नगरी है। इसकी गिनती देश-विदेश में भारत के प्राचीनतम धरोहरों में की जाती है। यह नगरी आदिकाल से राजनीतिक, सास्कृतिक एवं आध्यात्मिकता की लीला भूमि रही है। उन्होंने कहा कि इस भूमि पर कौरव-पांडव, भगवान ऋषभदेव एवं जैन धर्म के तीसरे तीर्थकर भगवान शांतिनाथ, सत्रहवें तीर्थकर कुंथनाथ एवं अट्ठारवें तीर्थकर अरहनाथ भगवान का जन्म हुआ था।
इसके बाद राज्यपाल ने ऐतिहासिक नगरी में मंदिरों के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण होने पर वह पूरे परिवार के साथ दर्शन हेतु यहां पुन: आएंगी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जैन धर्म ने वि को अहिंसा की सीख दी है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में विशिष्टजन एवं श्रद्धालु मौजूद थे। इससे पूर्व विशेष अतिथि क्षअतानंद मिश्रा, प्रफुल्ल भाई नेरोबी, अमेरिका से आए प्रवीण, शीतल बेन, लंदर, बाल ब्रह्मचारी ब्रजलाल साह, सोहनकर प्रकाश, सुधीर भाई, मुम्बई से आये दोसी ने मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरूआत की।
देहरादून की पाठशाला के बच्चों और शिक्षिका रीना ने तीर्थकर कहान गुरु पर कविता सुनाई। इसके बाद राज्यपाल और उनके परिवार की महिला को चिदायतन की ओर से समाजसेवी प्रिया ने अंगवस्त्र एवं रेखा ने रथ भेंट किया। ट्रस्ट के अध्यक्ष अजित प्रसाद जैन, उपाध्यक्ष जे.के. जैन, अजित जैन, मुकेश चंद्र जैन, स्वपनिल, अनिल, वीणा जैन, आईएस जैन, हंसमुख बोरा, कांतिबाई मोटाणी, अमृता बाई मेहता, अजित प्रसाद सहित अशोक बड़जात्या मौजूद थे।