इटावा, अभी हाल ही में गांव ईश्वरीपुरा के एक खेत में खुदाई के दौरान काफी संख्या में खंडित जैन मूर्तियां मिली। पुराने जानकार और इतिहासकारों के अनुसार ये मूतियार्ं महमूद गजनी और मोहम्मद गौरी ने खंडित करवाकर जमीन में दवबा दिया था। मूर्तियां खंडित करने का इनका मुख्य उद्देश्य इस्लाम धर्म के अलावा अन्य धर्मो को नेस्तानाबूत करना था। इतिहासकार डा. शैलेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर ने आसई में काफी दिनों तक प्रवास किया था। उस समय गांव में उनके कई अनुयायी बन गये और मूर्तिकार हो गये। उन्हीं अनुयायियों ने महावीर स्वामी की मूर्तियां बनाकर आसपास के क्षेत्र में स्थापित कराई। उस समय जैन धर्म का काफी प्रसार-प्रचार हो रहा था। इसे देख गौरी और गजनी ने हमला करके इस्लाम के अलावा अन्य सभी धर्मो को समाप्त करने के लिए मंदिरों और मूर्तियों को खंडित करवाकर जमींदौज करवा दिया था। जैन समाज के प्रमुख चंद्रप्रकाश जैन ने कहा कि खंडित मूर्तियां मुस्लिम शासकों के आतंक को बयां करती हैं। इतनी बड़ी संख्या में जैन खंडित मूर्तियां मिलने से जैन समुदाय आहत है और इन मूर्तियों को नसियां जी के मंदिर में रखवाने की मांग कर रहा है। इस संबंध में जल्द ही प्रशासनिक अधिकारियों से इसकी अनुमति प्राप्त करने संबंधी पहल की जाएगी।