जैन एकता” की मिसाल श्री राकेश जैन एवं डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, दिल्ली, के 18 दिवसीय “पर्युषण महापर्व” के व्रत सम्पन्न


“दिगम्बर-श्वेताम्बर नहीं ,जैन हैं हम एक,

18 दिनों के पर्युषण मनाने से मिटेंगे सारे भेद ।”

दिल्ली निवासी श्री राकेश जैन एवं अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित विदुषी डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव ने श्वेतांबर-दिगम्बर का भेद न करते हुए इस वर्ष भी 15 अगस्त से 1 सितंबर तक मनाए जा रहे पर्युषण पर्व में पूरे 18 दिवसीय व्रत किए और जैन एकता की मिसाल कायम की ।

विदुषी डॉ. इन्दु जैन प्राकृत भाषा तथा जैन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक कार्य करतीं रहतीं हैं , दिल्ली सरकार से  प्राकृत अकादमी खुलवाने के लिए भी प्रयासरत हैं। विगत कई वर्षों से डॉ. इन्दु जैन महावीर जयंती , क्षमावाणी आदि जैन धर्म के पर्वों के उपलक्ष्य में समय-समय पर दूरदर्शन तथा आकाशवाणी से कार्यक्रम भी प्रसारित करवातीं हैं जिससे पूरे विश्व में जैन धर्म की बहुत प्रभावना होती है । अपने देश के माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री , प्रतिष्ठित धर्म गुरुओं आदि कई विशिष्ट व्यक्तियों के सानिध्य में आपने सर्वधर्म प्रार्थना सभाओं एवं विशेष कार्यक्रमों में, आपने जैनधर्म के प्रतिनिधि के रूप में प्रतिभागिता की है एवं अपनी वाणी के प्रभाव से प्राकृत, संस्कृत, पाली, अपभ्रंश आदि प्राचीन भाषाओं तथा हिन्दी भाषा के माध्यम से भारतीय एवं जैन संस्कृति को जन-जन तक पहुँचाया है।आप कुशल वक्ता, विदुषी, कवयित्री, मंच संचालिका,Motivational Speaker एवं समाज सेविका हैं तथा जैन धर्म दर्शन की प्रभावना में अनेक वर्षों से संलग्न हैं ये सम्पूर्ण जैन समाज के लिए अत्यंत गौरव की बात है।

*ज्ञातव्य है कि ये दोनों जैन दंपति अट्ठाई और दशलक्षण दोनों को समाहित करके विगत पाँच वर्षों से (2016 से 2020 तक) पर्युषण महापर्व पर 18 दिनों के व्रत कर रहे हैं। श्री राकेश जैन जी बिजनेस करते हैं तथा जितना भी सम्भव हो समाज सेवा में भी अपना योगदान देते हैं। आप कई संस्थाओं से जुड़े हैं तथा उन संस्थाओं के माध्यम से जैनधर्म दर्शन, संस्कृति, भाषा आदि का प्रचार-प्रसार करने में विशेष सहयोग प्रदान करते हैं।  आप सामाजिक रूप से हर वर्ग के लिए आवश्यक, चिकित्सकीय कैंप , भोजन वितरण , शिक्षा व्यवस्था आदि के आयोजन में भी समय-समय पर विशेष सहयोग प्रदान करते हैं ।

डॉ. इन्दु जैन एवं श्री राकेश जैन जी के विचार से यदि पूरा जैन समाज अठारह दिनों के पर्युषण पर्व मनाना शुरू कर दे तो पूरे विश्व में जैन एकता का संदेश जाएगा और किसी एक निश्चित तिथि में क्षमावाणी पर्व को विश्व स्तर पर मान्यता देने से कोई नहीं रोक पाएगा ।

प्रसन्नता है कि 2016 से इनके माध्यम से किए गए प्रयासों से लोगों के मन में भी एकता की यही भावना जागृत हुई और  वर्ष 2020 में समाज के कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा 18 दिवसीय पर्यूषण महापर्व का आयोजन किया गया। कोरोना काल के समय जब हर जगह विपरीत परिस्थिति है इन परिस्थितियों में भी पूरे लॉकडाउन में डॉ. इन्दु जैन एवं राकेश जैन ने पूरी तरह अध्यात्म से जुड़कर निरंतर विश्व शांति की भावना से मंत्र जाप एवं भक्तामर स्तोत्र की आराधना की। ज्ञातव्य है कि  दशलक्षण महापर्व पर दुबई जैन समाज द्वारा आयोजित व्याख्यान माला में क्षमा आदि विषयों पर डॉ. इन्दु जैन ने दस दिवसीय विशेष व्याख्यान दिए जिससे दुबई की जैन समाज अत्यंत प्रभावित हुई।

आप हमेशा यही विचार करती हैं कि सभी धर्मों के त्योहारों के कई अवकाश सरकार द्वारा घोषित किए जाते हैं किन्तु महान पर्युषण पर्व , संवत्सरी , क्षमावाणी पर्व पर एक दिन का भी अवकाश घोषित नहीं किया जाता है क्योंकि पहले श्वेतांबर परम्परा के पर्युषण अट्ठाई के रूप में होते हैं और फिर दिगम्बर परम्परा के दशलक्षण पर्व शुरू होते हैं । सरकार भी सोचती है कि यदि इनमें भेद है तो हम अवकाश क्यों दें और दें भी तो कब दें ? इस प्रकार जैन धर्म के नाम पर सरकारी कैलेंडरों में सिर्फ महावीर जयंती का ही अवकाश दिखाई देता है  क्षमावाणी, अनंतचौदस, पर्युषण पर्व या किसी भी जैन त्योहारों पर एक भी अवकाश घोषित नहीं किया जाता है। इसलिए इन पवित्र दिनों में बूचड़खानों को बंद करवाने का प्रयास भी विफल होता है क्योंकि हमारे पर्युषण भिन्न तिथियों में होते हैं । आखिर ऐसा कब तक चलेगा ?

जैन समाज का अहित करने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में हुई कुछ घटनाओं ने श्री राकेश जैन एवं श्रीमती इन्दु जैन जी के मन को बहुत व्यथित किया और उन्होंने जैन एकता की शक्ति के लिए ही 18 दिनों के पर्युषण पर्व मनाने और उपवास करने का संकल्प ले लिया क्योंकि जैन एकता की बातें करना या जैन एकता का संदेश देना तभी सार्थक है जब उसे जीवन में अपनाया जाए ।

2015 वर्ष जब कुछ राजनैतिक दलों ने स्थानक के सामने मीट बनाकर खाया तो पूरे विश्व ने इस घृणित कार्य की निंदा की इसके विरोध में पूरा जैन समाज एक हो गया इस घटना से सभी के मन को अत्यंत व्यथित हुआ , इसी प्रकार संलेखना , संथारा विषय में कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए पूरे विश्व का जैन समाज एक हो गया तो जैन एकता की शक्ति को पूरे विश्व ने नमन किया । इन दो घटनाओं ने पूरे जैन समाज को समझा दिया कि आपस में बिखरना नहीं है एकता में ही शक्ति है अत: अपनी एकता को और शक्तिशाली बनाओ ।

राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित जैन दर्शन के प्रसिद्ध विद्वान डॉ. फूलचंद जैन प्रेमी एवं आदर्श महिला के सम्मान से सम्मानित प्रसिद्ध जैन विदुषी डॉ. मुन्नीपुष्पा जैन जी (वाराणसी) की सुपुत्री डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव एवं दामाद श्री राकेश जैन जी ने पूरे जैन समाज से ये निवेदन किया है कि महान् पर्युषण पर्व आठ और दस दिनों के अलग-अलग न मनाकर ,पूरे अठारह दिनों तक वैसे ही उत्साह के साथ व्रत , संयम , उपवास , पूजा- आराधना करके मनाएं , क्षमावाणी पर्व के लिए भी एक तिथि निश्चित करें और पूरे विश्व में एक साथ मनाएं ताकि उत्तम क्षमा और जैन एकता का संदेश पूरे विश्व में पहुँचे ।


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