मुज़्ज़फरनगर। मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज ने उत्तम सत्य का मर्म समझाते हुए कहा जब क्रोध, मान, माया,लोभ का उपशम होने लगता है तभी हम सत्यता को लेकर जान सकते है। उन्होंने जीव अजीव को विस्तार से समझाते कहा जब क्रोध, मान, माया, लोभ को थोड़ा सा भी कंट्रोल कर लेगे तो हमे ज्ञात होगा कि हम गुस्सा किस वस्तु के लिए कर रहे है। सत्य तो यही है कि चाहे जीव हो या अजीव, जो दिख रहा है,प्रत्यक्ष है, वह नष्ट होना ही है। सिर्फ आत्म तत्व ही शाश्वत है। इस सच्चाई को समझकर ही हम जी सकते है औऱ डिप्रेशन जैसी बीमारी से बच सकते है।सिर्फ आत्मा को छोड़कर सभी वस्तु नश्वर है।
— अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी