भारत सरकार द्वारा प्रति 10 वर्ष में भारत में रहने वाले लोगों की जनगणना कराई जाती है जिससे माध्यम से भारत में निवासरत विभिन्न धर्म संप्रदाय के लोगों की जनसंख्या भी ज्ञात की जाती है। और इसी के साथ भारत में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति, काम, काज, रहन सहन और परिवारिक जानकारी संग्रहित की जाती है। जनगणना के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर ही योजना आयोग नीति बनाता है और सुझाव देता है। जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ही देश प्रदेश, और नगर एवं गांवों के विकास की योजनाएं बनाई जाती है। विभिन्न राजनीतिक दल धर्म, जाति की जनसंख्या के आधार पर विधायक सांसद पार्षद आदि पदों के चुनाव के लिए प्रत्याशी का निर्धारण करते हैं।
सरकारी जनगणना में जैन धर्मावलंबियों की देश में कितनी जनसंख्या है इसके सही आंकड़े अभी तक जो उपलब्ध होते रहे हैं वह सही नहीं होते हैं। वर्तमान में हम संख्या में श्वेतांबर दिगंबर मिलाकर लगभग 2: 50 से 3:00 करोड़ होंगें, लेकिन जनगणना के आंकड़ों में जैन धर्मावलंबियों की संख्या1: 50 से 2:00 करोड़ के लगभग ही उद्घाटित हो पाती है जो सही नहीं है और इसके लिए जैन धर्मावलंबी स्वयं दोषी हैं, क्योंकि
जनगणना के लिए जब सरकारी कर्मचारी(गणक) आपके पास जनगणणा की जानकारी लेने के लिए आता है और जनगणना फार्म के कॉलम नंबर 6 में भरने के लिए जब आपसे धर्म, संप्रदाय के बारे में पूछता है तो हम या तो हिंदू लिखवा देते हैं या अपना गोत्र उपजाति आदि लिखवा देते जबकि हमें सिर्फ और सिर्फ कालम नंबर 6 में जैन के अलावा कुछ भी नहीं लिखवाना चाहिए। स्पष्ट जैन नहीं लिखवाने के कारण ही देश में समग्र जैन समाज की जनसंख्या के सही आंकड़े उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, और सरकार के समक्ष जैन समाजअपना प्रभाव नहीं छोड़ पा रहे हैं। राजनीतिक दल भी चुनाव के समय जैन प्रत्याशियों की टिकट देने मैं उपेक्षा करते हैं। अतः समग्र जैन समाज इस बार जागरूक बने और जब भी जनगणना की जानकारी लेने अधिकारी आपके दरवाजे पर दस्तक दे और धर्म संप्रदाय के बारे में पूछें तो अनिवार्य रूप से
जनगणना फार्म के कॉलम नंबर 6 में ना तो हिंदू लिखवाएं और ना ही उपजाति गोत्र और सरनेम लिखवाएं सिर्फ और सिर्फ जैन ही लिखवाएं ताकि भारत में जैनों की प्रमाणिक सही जनसंख्या के आंकड़े उपलब्ध हो सकें। जैन समाज की सभी शीर्षस्थ राष्ट्रीय संस्थाएं भी आगे आएं और जैन धर्मावलंबी जनगणना फार्म में सिर्फ जैन ही लिखवाए इस हेतु समाज को जागरूक करें, अभियान चलाएं।
— राजेश जैन दद्दू