जहाजपुर। आज जाे हमारे परिवार टूट रहे हैं उसका कारण अपनी संस्कृति के प्रति हीन भावना आना है। आवश्यकता है कि घराें में बुजुर्गाें काे सम्मान दें। नैतिक और सांस्कृतिक मूल्याें काे अहमियत दें। सारे तीर्थ, धार्मिक स्थल गाे-संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, विचाराें व भावना की पवित्रता के माध्यम हैं। धर्म-समाज ताे एक व्यवस्था है। मुख्य रूप से आवश्यकता है हमारा राष्ट्र शक्तिशाली बने। यह कहना है आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज का।
जहाजपुर के स्वस्तिधाम में स्वामी सुव्रतनाथ के पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महाेत्सव में पधारे आचार्य श्री ने कहा कि युवा पीढ़ी में आत्मविश्वास की कमी है। आत्मविश्वास के लिए जरूरी है इच्छाशक्ति बढ़ाने की। नकारात्मक साेच इच्छाशक्ति काे कमजाेर करती है। सत्संग, साहित्य, मंदिर आदि इच्छाशक्ति काे मजबूत करते हैं। गाय की सेवा का सीधा संबंध स्वास्थ्य से है, पर्यावरण से है। ये पशु-पक्षी बचेंगे, पेड़-पाैधे बचेंगे ताे हम, आप और माैसम बचेगा। उन्हाेंने कहा कि धर्म और विज्ञान का गहरा संबंध है।
धर्म विज्ञान के बिना और विज्ञान धर्म के बिना अधूरा है। धर्म निगेटिव काे पाॅजीटिव बनाता है। विज्ञान आपकाे बाैद्धिक काैशल देता है। राजाओ पर धर्म व संताें का अंकुश रहा ताे राष्ट्र सुरक्षित रहा। आज स्थिति उलटी है। पहले राजनीति में धर्म हुआ करता था। अब धर्म में राजनीति आ रही है। यह गंभीर चिंता है।आज जो सांप्रदायिकता बढ़ रही है उसकी वजह कषाय है। काेई भी धर्म ताेड़ने की या अनैतिक बात नहीं करता। कुरान शरीफ में भी हिंसा की बात नहीं है।
सभी के लिए वैचारिक ताजगी का केंद्र बनेगा स्वस्तिधाम
.. उन्हाेंने स्वस्तिधाम के लिए कहा कि यह केवल जैन के लिए ही नहीं वरन सभी के लिए तनाव मुक्ति का केंद्र बनेगा। यहां आकर वैचारिक ताजगी ला सकेंगे। अपनी संस्कृति से परिचित हाे सकेंगे। ईश्वर के प्रति, नैतिक मूल्याें के प्रति जागरुकता आएगी। मैं चाहूंगा कि क्षेत्र का हर युवा व्यसन मुक्त हाेकर इसका संरक्षक बने। माता-पिता, दादा-दादी, सास-ससुर व अन्य बुजुर्गाें के प्रति सद्भावना रखें। उनके प्रति अपने कर्तव्य का पालन करें। इससे बड़ी देशभक्ति और नहीं हाेगी। हर घर स्वर्ग बन सके ओर मानवीय मूल्याें का पाेषण हाे सके, इसका माध्यम स्वस्तिधाम व अन्य धर्म स्थलाें काे बनना हाेगा।
राष्ट्र की रक्षा के इतर उद्देश्य से सीएए लाए हैं ताे हाेगा घातक
.. एनआरसी ओर सीएए के मुद्दे पर आचार्य ने कहा कि इसमें हमें सबकी सुरक्षा ओर सबके सम्मान का ध्यान रखना हाेगा। अगर एसी भावना है ताे ठीक है। अगर किसी व्यक्ति के शाेषण की बात है स्वार्थ की बात है ताे गलत है। बढ़ता आतंकवाद ओर विदेशियाें की साजिश भारत काे कमजाेर कर रही है। इनसे संभलने की जरूरत है। काेई नियम बनाए ताे साेच अच्छी हाेनी चाहिए। देश हित में हाेनी चाहिए। क्याेंकि आजकल राजनीति विकृत है। देश पहले सुरक्षित हाेगा ताे हमारी संस्कृति सुरक्षित हाेगी। यदि काेई अतिथि आ गया है ताे वह अतिथि बनकर रहे। हमारे यहां व्यवस्था है। अतिथि काे हमारे आचार-विचार, हमारी मान-मर्यादा का पालन करना चाहिए। हमारे देश की विशेषता है अनेकता में एकता। यहां के मुस्लिम काे जितना सम्मान हम देते हैं पाकिस्तान में इतना सम्मान नहीं है। लेकिन जब काेई हम पर आक्रमण करता है ताे देश व परिवार की सुरक्षा के कदम उठाने ही पड़ेंगे। मैं सीएए लाने का यही उद्देश्य मान रहा हूं। अन्य काेई उद्देश्य है ताे वह घातक हाेगा।
— अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी