सागवाड़ा। आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने शुक्रवार को ऋषभ वाटिका स्थित सन्मति समवशरण सभागार में प्रवचन में कहा कि धार्मिक व्यक्ति में नैतिकता का होना जरूरी है, क्योंकि बिना नैतिकता के धर्म का दुरुपयोग होता है। नैतिकता के अभाव में धार्मिक पाखंड, कपट एवं छल होना स्वाभाविक है।
आत्मज्ञानी और वेद विज्ञान के ज्ञाता को सत्य और शांत चित्त होने के साथ ही समता के भाव रखने चाहिएं। अगर समता तथा सभ्यता के गुण नहीं तो फिर ज्ञानी होना भी व्यर्थ है। ज्ञान तथा आत्मदर्शन से ही सम्यक चरित्र का निर्धारण होता है। आचार्य ने कहा कि धन के दान से बड़ा महादान ज्ञान का होता है, इसी से संपूर्ण संसार और मानव जीवन का कल्याण होता है। आचार्य के प्रवचन से पूर्व संघस्थ आर्यिका आर्षमति माताजी ने संबोधित किया और उनके अवतरण दिवस पर गुरुभक्तों ने वंदना की।
आचार्य संघ का सागवाड़ा से विहार कल
ट्रस्टी नरेंद्र खोड़निया ने बताया कि आचार्य संघ का सागवाड़ा से विहार रविवार शाम को 4 बजे होगा। इससे पूर्व शनिवार को सुबह 11 बजे आचार्य के सानिध्य में पंडित जनक शास्त्री के निर्देशन में आचार्य शांतिसागर महाराज छाणी दिगंबर जैन श्राविका आश्रम के निर्माणाधीन भवन का शिलान्यास होगा।
— अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी