बिना मांगे दान देना सबसे बड़ा पुण्य : मुनिश्री


मदनगंज-किशनगढ़। संत शिरोमणी आचार्यश्री विद्या सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि पुंगव श्री सुधा सागर जी महाराज ने कहा कि गुरु के उपदेश को आदेश मानकर अपने जीवन में ग्रहण करोगे तो आपका जीवन सफल हो जाएगा। मुनिश्री ने कहा कि व्यक्ति को अपने जीवन में धर्म के बुलावे व दान के मांगने का इंतजार नहीं करना चाहिए यहां तो बिना बुलाए जाना व बिना मांगे दान देना ही सबसे बड़ा पुण्य है।

धर्म के कार्यों में भक्त को अपनी श्रद्धा से भी ज्यदा देने का भाव रखना चाहिए यह भाव उसके पुण्यार्थ को ओर अधिक बड़ा देता है जितना वह धर्म को देता उससे भी ज्यादा उसके जीवन में बढ़ता जाता है। मुनि कभी दान की याचना नहीं कर सकता है। धर्म दान में भक्त की श्रद्धा ही काम आती है।

भगवान देने के लिए बना है और वह कभी भी भक्त से कुछ नहीं लेता है। सच्चा दानी धर्म के कार्यों का लेखा जोखा नहीं मांगता है। करोड़ों रुपए कमाने वाला यदि दान का भाव नहीं रखता है तो दरिद्रता की ओर जाता है वहीं करोड़ों रुपए कमाने वाला करोडों रुपए का दान देने का भाव रखता है तो उसकी समृद्धी अपने आप बढ़ती रहती है। अत: धर्म कार्यों में दान की महता को भक्त अच्छी तरह जान ले तो उसका जीवन सफलता की ओर बढ़ता चला जाता है।

श्री दिगम्बर जैन प्रभावना समिति के संजय जैन के अनुसार प्रात: श्रीजी का अभिषेक, दोपहर में सामायिकी शांतिधारा के बाद मुनि निकम्प सागर महाराज द्वारा जिन सहसत्रनाम, स्रोत पाठ, मुनिश्री सुधा सागर जी महाराज द्वारा तत्वार्थ श्लोक व्रतिका एवं पदनंदीपंच विशिन्तिका मुनि महासागरजी द्वारा तत्वार्थ सूत्र तथा सांय जिज्ञासा समाधान के बाद क्षुलक धैर्य सागर जी महाराज द्वारा बच्चों की पाठशाला आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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