मधुबन (गिरिडीह)। जैन धर्म के अनुयायियों के लिए जैन सिद्धक्षेत्र श्री सम्मेद शिखर का विशेष महत्व और श्रद्धा-भक्ति है। यही कारण है कि पूरे देश नहीं विदेशों से भी लोग इस क्षेत्र के दर्शन (वंदना) करने पूरी श्रद्धा भाव से आते हैं। इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों का इतना वर्चस्व बढ़ गया है कि वे जब चाहे अपनी मनमानी करना शुरु कर देते हैं और क्षेत्र की कमेटी चुपचाप देखती रहती है। इससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को कई कठिनाइयों/समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अभी हाल ही में जैन धर्मशालाओं से कुछ कर्मचारियों की छंटनी कर दी थी, जिसके विरोध में सिद्धक्षेत्र मधुबन में कार्यरत कर्मचारी और डोली वालों ने हड़ताल कर दी है, जिससे पूरे क्षेत्र में सन्नाटा परसा है। ऐसे में जो श्रद्धालुगण सिद्धक्षेत्र की वंदना करने दूर-दूर से आये हैं, उन्हें भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति इतनी गंभीर है कि मंदिरों के ताले तक नहीं खुले हैं और भोजनालय भी बंद है। सड़क यातायात भी बंद है। बता दें कि तीर्थयात्रियों को वंदना कराने वाले लगभग 10 हजार मजदूर भी हड़ताल पर हैं। यही कारण है कि गुरुवार को श्रद्धालुगण वंदना नहीं कर सके।
ज्ञात हो कि श्री सम्मेद शिखर जी होली के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण पहुंचते हैं और कई धार्मिक कार्यकर्म आयोजीत होते हैं, इस पर भी संकट आ गिरा है। बंद का आह्वान झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन के नेतृत्व में किया गया है। जानकारी के मुताबिक जैन संस्था मोदी भवन ने अपने 11 धर्मशाला एवं 5 जैन विद्यापीठ के कर्मचारियों की छंटनी कर दी थी। इसी के खिलाफ पिछले तीन महीने से आंदोलन चल रहा था। विगत 20 फरवरी को सांकेतिक हड़ताल भी थी। इसके बाद प्रशासन ने हस्तक्षेप किया था। भोमियां जी भवन प्रबंधन एवं मजदूरों के बीच बुधवार को सभझौता भी हुआ था किंतु मोदी भवन एवं धर्मशाला के मजदूरों को वापस लेने से मना कर दिया।
इस समाचार के माध्यम से श्री सम्मेद शिखर की वंदना करने जाने वाले श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे जाने से पहले वहां की स्थिति की जानकारी जरूर प्राप्त कर लें, अन्यथा बाद में जाने का कार्यक्रम बनायें।