मध्य प्रदेश के नीमच नगर से एक सामाजिक कार्यकर्ता ने 23 सितम्बर को सूरत में दीक्षा लेने जा रहे युवा जैन दम्पत्ति को दीक्षा लेने से रोकने की मांग की है। बता दें कि नीमच निवासी सुमित राठौड और उनकी पत्नी अनामिका अपनी 3 साल की बेटी और करोड़ों रुपये की सम्पत्ति का त्याग कर दीक्षा लेने जा रहे थे। बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता कपिल शुक्ला ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, चाइल्ड केयर, सीएम हेल्पलाइन, कलेक्टर और एसपी को प्रार्थनापत्र देकर उक्त दम्पत्ति को दीक्षा लेने से रोकने की मांग की है। सामाजिक कार्यकर्ता कपिल शुक्ला के अनुसार दम्पत्ति का दीक्षा लेना 3 साल की अबोध बच्ची के हित में नहीं है।
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जैन समुदाय को भी आगे आकर दीक्षा रोकने हेतु प्रयास करना चाहिए। दीक्षा लेने वाले सुमित राठौड़ के चचेरे भाई संदीप ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मैं शपथ लेता हूं कि आज से ऐसे साधुओं के आगे हाथ नहीं जोड़ूगां क्योंकि मुझे अपनी बेटी, माता-पिता और अपनी पत्नी से बहुत प्यार है। साधु का काम शिक्षा देना है न कि दीक्षा देना। उक्त पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। संदीप ने कहा कि जैन कुल में पैदा होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है और वैराग्य आना अच्छी बात है किंतु परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी निभाने के बाद।
सामाजिक कार्यकर्ता ने आवेदन में लिखा है कि बच्चे के लिए माता-पिता के प्यार के आगे तमाम सुविधाएं छोटी हैं। जैन धर्म अहिंसा परमोधर्म के रास्ते का अनुसरण करने वाला है और ऐसे में मासूम बच्ची को दूसरे के भरोसे छोड़ना उचित नहीं है। इस संबंध में सुमित की पत्नी अनामिका फिलहाल मौन हैं। अनामिका के पिता ने कहा कि मैं अपनी नातिन की देखभाल अच्छी तरह करूंगा और मेरी बेटी के दीक्षा ग्रहण करने के मैं खिलाफ नहीं हूं।