आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में झटपट टाइप नाश्ते का चलन तेजी से बढ़ा है। सुबह ऑफिस के लिए निकलने का समय हो या कहीं अन्य स्थान पर जाने का समय हो, कम समय में तैयार नाश्ता ब्रैड से अच्छा क्या हो सकता है? यही कारण है कि महानगरों में ब्रैड की खपत काफी इजाफा हुआ है किंतु एक चौकाने वाला तथ्य उजागर हुआ है। सेंटर फार साइंस एंड एनवायर्नमेंट (CSE) ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि ब्रैड में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारण बनने वाले रसायन तत्व मिले हैं। जांच में प्रीमियम ब्रैड के सामान्य रूप से उपलब्ध 38 ब्रांडों में 84 प्रतिशत में पोटेशियम व्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट पाया गया है। अध्ययन में पता चला है कि 38 नमूमों में 32 में 1.15 से 22.54 पार्टस पर मिलियन पीपीएम पोटेशियम ब्रोमेट या आयोडेट मिला है। सीएसई ने कहा लगभग सभी शीर्ष ब्रांड में पोटेशियम ब्रोमेट या आयोडेट के उच्च स्तर मिले हैं और खाद्य नियामक एफएसएसएआई से पोटेशियम ब्रोमेट या आयोडेट के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने का आग्रह किया है।
पोटेशियम व्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट को कई देशों में प्रतिबंधित कर रखा है और इसे जनस्वास्थ्य की दृष्टि से खतरनाक रसायनों की श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है। दावा किया गया है कि उसमें से एक रसायन 2वी श्रेणी का कार्सिनोजेन है, दूसरे से थायराइड विकार हो सकता है किंतु भारत में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं है। सेंटर फार साइंस एंड एनवायर्नमेंट की प्रदूषण निगरानी प्रयोगशाला ने दिल्ली के आउलेट्स से सामान्य 38 ब्रांड के पहले ब्रैड, पाव और बन तथा बर्गर ब्रैड और तैयार पिज्जा ब्रैड के नमूनों की जांच की सीएसई के उपनिदेशक चंद्रभूषण ने बताया कि हमें 84 प्रतिशत नमूनों की जांच में पोटेशियम ब्रोमेट या आयोडेट मिले हैं। कुछ नमूनों में पोटेशियम ब्रोमेट या आयोडेट की मौजूदगी की बाहरी तीसरे पक्ष की प्रयोगशाला से पुन: जांच करायी। उन्होंने कहा हमारा अध्ययन पोटेशियम ब्रोमेड या आयोडेट के व्यापक इस्तेमाल के साथ ही तैयार उत्पाद में पोटेशियम ब्रोमेट या आयोडेट की मौजूदगी की पुष्टि करता है। सीएसई की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वास्थ्य मंत्री जे पी नडडा ने कहा हमें मामले की जानकारी है। मैंने अधिकारियों से कहा है कि वे तात्कालिक आधार पर मुझे रिपोर्ट दें। उन्होंने कहा घबड़ाने की कोई जरूरत नहीं है। हम बहुत जल्द जांच रिपोर्ट लाएंगे।