चातुर्मास में धन का नहीं धर्म का संग्रह करो: मुनि श्री आदित्य सागरजी


इंदौर। वर्षा काल में सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति अधिक होने से साधु अहिंसा धर्म का पालन, जीवो की रक्षा और श्रुत की आराधना के लिए 4 माह तक एक ही स्थान पर ठहरकर चातुर्मास करते हैं, क्योंकि वर्षा काल में आवागमन से बहुत हिंसा होती है। यह उद्गार आज मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ने समोसरण मंदिर कंचन बाग में अपने 11वें श्रुत आराधना वर्षायोग मंगल कलश स्थापना समारोह के अवसर पर भीड़ भरी धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आपके साथ मुनिश्री अप्रतिमसागरजी, मुनि श्री सहजसागरजी भी वर्षा योग कर रहे हैं।

मुनि श्री ने कहा कि चातुर्मास को कभी धन के संग्रह से मत जोड़ना चातुर्मास में धन का नहीं धर्म का संग्रह और श्रुत की आराधना होना चाहिए। मुनिश्री ने आजकल श्रावकों एवं समाज में पनप रही इस धारणा को भी गलत बताया कि जिस साधु के सानिध्य में जितनी बड़ी बोली लगे वह उतना बड़ा साधु। श्रावकों को कोई हक नहीं कि वह बोलियों के दम पर साधु की पहचान स्थापित करे। साधु की पहचान बोलियों से नहीं, साधु की बोली (वाणी, प्रवचन) , चर्या, चरित्र और ज्ञान से की जाना चाहिए।

आपने समाज को मैत्री, प्रमोद, करुणा और माध्यस्थ भाव से जीने की प्रेरणा देते हुए कहा कि नगर में जहां जहां भी चातुर्मास हो रहे हैं वह सभी धर्म की अभूतपूर्व प्रभावना के साथ महा मंगलमयी हों और श्रावक भी अपनी सुविधा, समय और इच्छा अनुसार जहां चाहे वहां जाकर साधु के सानिध्य में जिनवाणी का श्रवण करे। प्रवचन के पूर्व आचार्य श्री विद्यासागर एवं आचार्यश्री विशुद्ध सागरजी के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन समोसरण मंदिर ट्रस्ट, तुकोगंज दिगंबर जैन समाज के पदाधिकारियों ने किया, आचार्य विशुद्धसागर जी की पूजन हुई एवं मुनि संघ का पाद प्रक्षालन कर शास्त्र भेंट किए गए।

मुख्य मंगल कलश प्राप्त करने का सौभाग्य डॉक्टर महेंद्र कुमार अनिल कुमार परिवार भोपाल ने एवं प्रथमानुयोग कलश लेने का सौभाग्य सर्वश्री नरेंद्र कुमार पप्पाजी, आजाद कुमारजी, सुशील पांड्या सुभाष गंगवाल और पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर अंजनी नगर ने प्राप्त किया।इस अवसर पर पंडितश्रीरतनलालजी शास्त्री, अधिष्ठाता ब्रह्मचारीअनिल भैया, अभय भैया ,राजकुमार पाटोदी, अमित कासलीवाल, एम के जैन टी के वेद, डॉक्टर अनुपम जैनअजीत जैन अशोक खासगीवाला, डॉक्टर जैनेंद्र जैन, जैनेस झांझरी, कैलाश वेद, स्वतंत्र सिरमोर, राजेश जैन दद्दू, जयंतीलाल शाह, आदि समाज जन उपस्थित थे। सभा का संचालन हंसमुख गांधी ने किया।

— राजेश जैन दद्दू


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