श्रुत पंचमी दिगंबर जैनो का पर्व है। यह प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। दिगंबर जैन परंपरा के अनुसार श्रुत पंचमी पर्व, ज्ञान की आराधना का महान पर्व है, जो जैन भाई-बंधुओं को वीतरागी संतों की वाणी सुनने, आराधना करने और प्रभावना बांटने का संदेश देता है। इस दिन भगवान महावीर के दर्शन को पहली बार लिखित ग्रंथ के रूप में प्रस्तुत किया गया था। पहले भगवान महावीर केवल उपदेश देते थे और उनके प्रमुख शिष्य गणधर उसे सभी को समझाते थे। क्योंकि तब महावीर की वाणी को लिखने की परंपरा नहीं थी। उसे सुनकर ही स्मरण किया जाता था। इसीलिए उसका नाम श्रुत था।
इसी के उपलक्ष में शाहदरा के छोटा बाजार स्थित प्राचीन जैन मंदिर में श्रुतपंचमी का पर्व संकल्प श्री महिला मंडल और समाज के द्वारा बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर प्रात:काली पूजा-अचर्ना, शांतिधारा की गई तत्पश्चात प्रधान श्री रमेश जैन जी के नेतृत्व में समाज के सभी धर्मप्रेमीयों ने जिनवाणी की शोभा यात्रा हषरेल्लास के साथ निकाली।
इस अवसर पर महिला मंडल द्वारा श्री शांति नाथ विधान का आयोजन भी विधानाचार्य पं प्रदीप जैन, सराय वाले के मार्गदशर्न मे किया गया, जिसमें जैनधर्माम्बलंबियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और धर्मलाभ प्राप्त किया। महिला मंडल की प्रधान श्रीमति बबिता जैन और महामंत्री श्रीमती रेनु जैन ने जानकारी दी की विधान के मांडले पर मुख्य क्लश की स्थापना और अखंड जोत ई विकास कुमार जैन के द्वारा प्रजवल्लित की गई।