श्रमण संस्कृति के महामहिम संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज वर्तमान में भारत की वसुधा पर साधना रत जैन संतों में ज्येष्ठ और सर्वश्रेष्ठ एवं लोक कल्याण की भावना से समृद्ध गांधीवादी विचारधारा से
औत प्रोत एक राष्ट्र हितेषी संत हैं जिन पर हमारी संस्कृति समाज और राष्ट्र गौरव करता है।
आचार्य श्री जैन ही नहीं जन-जन के महामहिम शिखर संत और श्रमण संस्कृति की उस परमोज्वल धारा के अप्रतिम प्रतीक हैं जो आज भी सिंधु घाटी की प्राचीनतम सभ्यता के रूप में समस्त विश्व को अपनी गौरव गाथा सुना रही है उनके व्यक्तित्व कृतित्व एवं चिंतन में
वसुधैव कुटुंबकम् एवं परस्परोपग्रहो जीवानाम की उद्धत भावना समाहित है अतः इन सभी विशेषताओं से समृद्ध होने के कारण आचार्य श्री आज भारत रत्न अलंकरण पाने के सच्चे हकदार हैं जो उन्हें दिया जाना चाहिेए।
यह मांग दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद इंदौर के प्रवक्ता डॉक्टर जैनेंद्र जैन ने की है डॉक्टर जैन ने कहा है कि आचार्य श्री किसी अलंकरण के मोहताज नहीं हैं और ना ही उन्हें इसकी वांक्षा है न आकांक्षा है लेकिन फिर भी उन्हें भारत रत्न अलंकरण इसलिए प्रदान किया जाना चाहिए की आज उनकी ही प्रेरणा एवं आशीर्वाद और लोक कल्याण की भावना से देश भर में तीर्थ निर्माण
संस्कारों से समृद्ध आवासीय कन्या विद्यालयों प्रतिभास्थली की स्थापना शताधिक गौशालाओं की स्थापना एवं रोजगार हेतु हथकरघा उद्योग की स्थापना और स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में जो सर्व हितेषी कार्य हुए हैं और हो रहे हैं वह सब स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाने योग्य कार्य हैं अतः भारत सरकार द्वारा आचार्य श्री को भारत रत्न अलंकरण प्रदान किया जाना चाहिए यदि ऐसा होता है तो यह स्वागत योग्य होगा और इससे जैन शासन का गौरव बढ़ेगा और जैन धर्म को भी नई पहचान मिलेगी एवं यह इस बात का प्रमाण भी होगा की भारत सरकार ने आचार्य श्री को एक महान विभूति के रूप में स्वीकार किया है।
— डॉक्टर जैनेंद्र जैन