जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभदेव) की जन्म स्थली अयोध्या का स्थान जैन समुदाय में महत्वपूर्ण है। पवित्र नगरी अयोध्या में भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव) का जन्म जयंती समारोह पूरे धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर श्री दिगम्बर जैन मंदिर में प्रात:काल में ध्वाजारोहण कार्यक्रम किया गया। इसके बाद भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। विशाल शोभा यात्रा के दौरान लोग उत्साह के साथ नाचते-गाते और जय-जयकार करते हुए नजर आ रहे थे। जन्म जयंती शोभा यात्रा अयोध्या नगरी के मुख्य मार्ग से होकर तुलसी उद्यान होते हुए तुलसी नगर स्थित पांडुकशिला पहुंची। यहां पांडुकशिला पर भगवान का अभिषेक और पूजन किया गया। पूजन-अचर्न के बाद शोभायात्रा वापस रायगंज स्थित जैन मंदिर पर समाप्त हुई। यहां 31 फुट ऊंची ऋषभदेव की विशाल प्रतिमा का पंचामृत एवं फलों के रस से अभिषेक कर उत्सव मनाया गया। तत्पश्चात आरती एवं प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम के बाद जैन धर्म के धर्मगुरूओं ने अपने संबोधन में कहा कि यह गलत धारणा है कि महावीर स्वामी जैन समाज के प्रवर्तक हैं, जबकि वह प्रवर्तक नहीं बल्कि प्रखर प्रचारक थे और जैन समुदाय के 24वें और अंतिम तीर्थकर हैं। उन्होंने बताया कि भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव) की अब तक की सबसे बड़ी प्रतिमा की स्थापना महाराष्ट्र के नासिक स्थित मांगीतुंगी पहाड़ी पर की गयी है, जिसकी ऊंचाई 108 फुट है। सबसे ऊंची प्रतिमा के रूप में इसका नाम गिनीज र्वल्ड आफ रिकार्ड में दर्ज कर लिया गया है।