दक्षिण में जन्म लेकर उत्तर भारत में जैन धर्म की पताका फहराने वाले संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज हैं जिन्होंने अब तक सर्वाधिक जैनेश्वरी दीक्षायें प्रदान की हैं ऐसे महापुरुष महासंत का जन्मोत्सव मनाने का सौभाग्य शरद पूर्णिमा के अवसर पर हमें मिल रहा है हम भी उन्हीं की बताए हुए रास्ते पर आगे बढ़ते रहें उक्त उद्गार जैन आचार्य विनीत सागर महाराज ने विजय मति त्यागी आश्रम में आयोजित अवतरण दिवस समारोह में रविवार को कही।
आचार्य ने कहा कि वर्तमान में सर्वोच्च साध्वी ज्ञानमती माताजी ने भी अनेको तीर्थ क्षेत्रो का उद्धार कर जैनत्व का मान बढ़ाया है। जैन समाज कामां द्वारा वर्षायोग समिति के तत्वाधान में आचार्य विनीत सागर महाराज के सानिध्य में आचार्य विद्यासागर महाराज एवम गणिनी ज्ञानमती माताजी का अवतरण दिवस समारोह का शुभारंभ चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया । इस अवसर पर दृष्टि जैन बड़जात्या, एकता जैन द्वारा मंगलाचरण नृत्य प्रस्तुत किया गया तो हर्षिता जैन ,उत्तम चन्द बड़जात्या, संजय सर्राफ,मनीषा जैन ,इंद्रा बड़जात्या ,दीपक सर्राफ ,शुभम जैन ललितपुर द्वारा सन्त द्वय के जीवन से जुड़े संस्मरण सुनाए । कार्यक्रम का संचालन करतेहुए युवा परिषद के जिला अध्यक्ष संजय जैन बड़जात्या ने कहा कि आचार्य विद्यासागर वर्तमान के वर्धमान हैं तो आर्यिका ज्ञान मति माताजी ने मांगीतुंगी में सबसे ऊंची जैन प्रतिमा विराजमान करवाकर इतिहास रच दिया है। इस अवसर पर चन्दो बड़जात्या परिवार द्वारा वर्षायोग स्मृति हेतु तस्वीर का अनावरण भी किया। कार्यक्रम में स्त्री पुरुष व बच्चे उपस्थित रहे।
— संजय जैन बड़जात्या