राजस्थान के सवाईमाधोपुर नगर में कल का दिन जैन समाज के लिए हर्षरेल्लासितपूर्ण रहा और रह भी क्यों न, कल मुनिपुगंव श्री सुधा सागर जी महाराज ससंघ का नगर में मंगल प्रवेश जो था। मुनिश्री ससंघ के स्वागत और आगवानी करने नगर में जैन श्रद्धालुओं का जनसैलाब नजर आया। इस दौरान मुनि पुगंव सुधा सागर जी महाराज एवं उदयपुर नगर से आये उनके गुरू भाई मुनिश्री उत्तम सागर जी का मंगल मिलन हुआ। दो गुरू भाइयों का ऐसा भावुक मंगल मिलन 25 वर्ष बाद सवाईमाधोपुर की धरती पर हुआ।
मुनिश्री उत्तम सागर जी अपने गुरू भाई मुनि सुधा सागर जी देखकर भाव-विभोर हो गये और उनके नेत्रों से अश्रुओं की ऐसी गंगा बही कि मुनिश्री सुधा सागर जी का पाद-पक्षालन कर दिया। ऐसा मार्मिक दृश्य देख श्रद्धालु भी भाव-विभोर हुए बिना नहीं रह सके। बता दें कि दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कार जी में होने वाले पंचकल्याणक महोत्सव के लिए मुनिश्री सुधासागर, मुनि महासागर, मुनि निषकंप सागर, क्षुल्लक गंभीर सागर एवं धैर्य सागर इंद्रगढ़ से बिहार कर यहां पहुंचे। उनकी आगवानी के लिए भव्य शोभायात्रा निकाली गई। मुनि संघ ने जैसे ही नगर की सीमा में प्रवेश किया तो जैस समाज के लोगों में हर्ष की लहर दौड़ गई।
शोभायात्रा समिति संयोजन राजेश बाकलीवाल एवं सहयोगियों ने नेतृत्व में मुनि संघ को टोंक रोड खैरदा स्थित राजनगर कालोनी से आलनपुर लिंक रोड होते हुए विशाल शोभायात्र के रूप में मंदिर तक लाया गया। शोभायात्रा में हाथी, घोड़े, शहनाई वादक, बैंड-बाजे यात्रा की शोभा में चार चांद लगा रहे थे। इसके साथ ही स्याद्धादमति माता जी जयघोष करते हुए, विशुद्ध विशेष महिला बैंड वादिकाओं की मधुरस्वर लहरियां बिखर रही थी। शोभायात्रा में युवक-युवतियां नाचके-गाते चल रहे थे। पूरे मार्ग में मुनि ससंघ के दर्शन एवं चरण चूने की होड़ लगी हुई थी। नगर के मुख्य मागरे से शोभायात्रा मंदिर पहुंचकर एक धर्मसभा में परिवर्तित हो गई। मुनिश्री सुधा सागर जी ने पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की सफलता के साथ ही समाज को धर्म की राह पर चलकर एकता के सूत्र में बंधकर रहने की बात कही।