कोटा: कई जन्मों का पुण्य सिमट कर जब आता है, तब जाकर जीवन मे संयम धारण का भाव आता है किसी भजनकार ने कितना खूबसूरत लिखा है *जीवन के किसी भी पथ पर वैराग्य उपज सकता है संसार मे रह कर मानव संसार को तज सकता है
ऐसा ही हुआ कोटा के दशहरा मैदान में जहाँ परम पूज्या भारत गौरव गुरु माँ विशुद्धमति माताजी का 50 वा स्वर्णिम संयम महोत्सव का आयोजन चल रहा था। कुमारी अदिति जैन ने अपनी भावना इस तरह शब्दो मे पिरो कर संयम के मार्ग पर चलने का निवेदन किया कि पूरा पांडाल अपने आंसू नही रोक पाया। परिजन के आँसू देख श्रद्धालुगन भी भाव विभोर हो गए । वात्सल्य तप त्याग की साक्षात मूर्ति गुरु माँ ने आजीवन व्रत दे दिया । नजरे अपनी बदली नजारे बदल गए। अदिति संसार मार्ग को छोड़ वैराग्य मार्ग पर आ गई। देव शास्त्र गुरु के परम भक्त व्यवहार कुशल श्री कैलाश जी वासटा की सुयोग्य प्रतिभावान सुपुत्री अदिति जैन जिसने कोटा यूनिवर्सिटी सिटी से एम एस सी के दौरान फिजिक्स में 5 गोल्ड मैडल जीते टॉपर रही। अदिति ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत आजीवन रंगीन कपड़ो का त्याग आजीवन चप्पल का त्याग कर दिया। आपकी चार विवाहित बहने है।