बालेसर/जोधपुर में अर्पित जैन ने लंदन की 48 लाख पैकेज की नौकरी छोड़, त्याग के मार्ग पर अपना पथ अग्रसर कर लिया है। उन्हें जोधपुर के बालेसर में गुरुवार को दीक्षा ग्रहण करायी गयी। बालेसर में आचार्य रामलाल महाराज ने बहुत सादगीपूर्ण तरीके से गृहस्थ जीवन से संत की ओर चलने की दीक्षा दिलायी। इस बीच आचार्य रामेश ने कहा कि अहिंसा वीरों का धर्म है, संयम वीरों का धर्म है। आज दुनिया के अधिकांश लोग धन-दौलत एकत्रित करने में अपने जीवन गंवाते जा रहे हैं, जबकि उन्हें पता है कि यह सब कुछ साथ जाने वाला नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि भौतिक पदाथरे में कोई सुख-शांति नहीं है। सच्चा सुख और शांति तो संयम और साधना में ही है। हम सभी को आत्मा की शक्ति को जगाएं क्योंकि साधु जीवन ही श्रेष्ठ जीवन है। साधन के मार्ग पर चलने वाले कुछ विरले ही होते हैं, जो वास्तव में सच्चे सुख-शांति को पहचान पाते हैं बाकी तो अपना जीवन ब्यर्थ में गंवा मरणासन्न अवस्था को प्राप्त हो जाते हैं। जानकारी के मुताबिक मूल रूप से चेन्नई के निवासी सुमतिचंद मरलेचा एवं निर्मला देवी के पुत्र अर्पित जैन इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर लंदन में 48 लाख पैकेज की नौकरीरत थे, उसे छोड़ भौतिकता की चकाचौंध के दूर त्याग, तपस्या के मार्ग पर चलने का निश्चय किया।
अर्पित ने लंदन में नौकरी करते हुए लगभग 12 वर्षो से श्रावक जीवन का पालन करते हुए संयम व्रत का पालन करते रहे। दीक्षार्थी अर्पित के परिवार में उनकी पत्नी सुनीता मरलेचा, बेटी दीक्षा (16) व देशना (11) हैं। दो भाई प्रतीक एवं प्रणिक हैं। दीक्षा के अवसर पर दीक्षार्थी परिवार का विभिन्न संगठनों द्वारा सम्मान किया गया। इस मौके पर अखिल भारतीय साधुमार्गी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौतम चंद रंका, उपाध्यक्ष नेमीचंद पारख, साधु मार्गी जैन संघ बालेसर के अध्यक्ष पुखराज सांखला, मंत्री मोतीलाल जैन, समता युवा संघ के अध्यक्ष प्रमोद जैन, मंत्री जयेश सांखला, मदनलाल जैन ,पुखराज जैन , गुलाबचंद चोपड़ा, महेश नाहटा, प्रकाश चंद जैन, पारसमल जैन, मुन्नालाल जैन, राकेश जैन, दिलीप जैन, धर्मेश जैन, गजेंद्र जैन, दौलत जैन, अभिनंदन जैन, मीठालाल जैन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद थे।