उज्जैन के गांव भीकमपुर कुछ दिन पूर्व खुदाई के दौरान 11 दुलर्भ प्रतिमाओं के मिलने के बाद 1 और प्रतिमा प्राप्त हुई है। मंगलवार को पुरातत्व विभाग की टीम भीकमपुर पहुंची और प्रतिमाओं की जांच की। टीम ने माना कि ये प्रतिमाएं लगभग 750 वर्ष पुरानी हैं। मंगलवार को तहसीलदार विवेक सोनकर एवं पंचों की उपस्थिति में गांव के जिस कमरे में मूर्तियां रखी गई थी, उसे खुलवाया गया। पुरातत्व विभाग उत्खनन विभाग विक्रम विविद्यालय के डा. रमण सोलंकी ने अपनी टीम के साथ जांच शुरू कर दी।
उन्होंने बताया कि यह गांव मंदसौर से उज्जैन को जोड़ने वाले मार्ग पर अतिप्राचीन समय से स्थित है। इस मार्ग पर इतनी बड़ी मात्रा में प्रतिमाओं का मिलना अजूबा है। प्रतिमाओं के साथ चंदन घिसने का लौटन भी प्राप्त हुआ है, जिससे स्पष्ट होता है कि प्रतिमाओं का पूर्व में प्रतिदिन पूजन-अर्चन होता रहा है किंतु प्रतिमाएं खंडित हो गई हैं किंतु चमत्कारी प्रतीत होती है। सभी प्रतिमाएं वैज्ञानिक मानक से निर्मित है। इन प्रतिमाओं पर शोध किया जाना आवश्यक है। टीम ने कहा कि पुरातात्विक दृष्टि से ये प्रतिमाएं अति महत्वपूर्ण हैं। ये सभी दिगम्बर जैन प्रतिमाएं हैं।
प्रतिमाओं को समाज को सौंपने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारी को सौंपी जाएगी । इसके बाद वह जो भी निर्णय करें। बता दें कि भीकमपुर के लोग गांव में मंदिर निर्माण के लिए तैयार हैं। जमीन मालिक देवीलाल पिता पैमाजी मालवीय ने कहा कि मेरी जमीन मेरे पूर्वजों की है एवं जमीन से इतनी बड़ी धरोहर निकलना मामूली बात नहीं है। जमीन के मालिक ने कि यदि जैन मूर्तियां गांव वालों को दे दी जाती हैं तो जहां से मूर्तियां प्रगट हुई हैं, हम वह जमीन दान में जैन समाज को मंदिर निर्माण के लिए देने को तैयार हैं। गांव वालों का कहना है कि हम समस्त ग्रामवासी मंदिर बनाने को हर तरह से सहयोग करने को तैयार हैं बशत्रे मूर्तियां यहीं गांव में ही रहें।