इंदौर। क्षमा,धैर्य, करुणा और अहिंसा ये प्रासुक परिणाम हैं और जीव के विकास में सहायक हैं। क्रोध, मान, माया और लोभ ये अप्रासुक परिणाम हैंऔर जीव को अधोगति की ओर ले जाते हैं।
यह उद्गार आज दिगंबर जैन त्रिमूर्ति जिनालय कालानीनगर में मुनिश्री आदित्यसागरजी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनि श्री ने कहा कि क्रोध, मान, माया और लोभ करना कोई किसी को सिखाता नहीं है, जीव के अशुभ भाव ही जीव को ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं, अतः अपने भावों को संभालने का प्रयास करो।
आजकल लोग स्टेटस बनाने में लगे रहते हैं लेकिन ध्यान रखो अंत समय तुम्हारा स्टेटस यही धरा रहेगा,साथ नहीं जाएगा, साथ तो केवल तुम्हारे द्वारा किया गया धर्म पुरुषार्थ और सत्कर्म ही जाएगा। प्रचार प्रमुख राजेश जैन दद्दू ने बताया की आज 4 जून श्रुत पंचमी के उपलक्ष्य में देश के ख्याति प्राप्त एवं वयोवृद्ध आगम मनीषी विद्वान पंडित रतनलालजी शास्त्री का प्रातः 8:30 बजे कालानी नगर जैन मंदिर एवं मुनी संघ के सानिध्य और दिगंबर जैन श्रुत संवर्धिनी महासभा के तत्वावधान में सम्मान किया जाएगा।