सुसनेर में रविवार का दिन गुरू-शिष्य के 26 साल बाद मिलन से बात्सल्य भाव की छटा से अश्रुपूरित रहा। रविवार की प्रात: 08.00 बजे इंदौर-कोटा राजमार्ग स्थित मोडी चौराहे पर आचार्यश्री दर्शन सागर जी एवं उनके शिष्ट मुनिश्री कल्पवृक्षनंदी का मिलन हुआ। नगर सहित आसपास के श्रद्धालुगण के साथ आचार्यश्री आसाम से पद विहार करते हुए सुसनेर पहुंचे। समाजजन मुनिश्री की आगवानी करने पहुंचे। मोड़ी चौराहे पर दोनों संतों ने एक-दूसरे को गले से लगाकर ऐसा स्नेह प्रकट किया कि आंखों से अश्रु की धारा बह निकली। समाजजन ने तालियों से इस मिलन का स्वागत किया। इसके बाद बैंडबाजों के साथ विशाल शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा मैना रोड होते हुए इतवारिया बाजार पहुंची।
यहां पिडावा राजस्थान से पदविहार कर आए एलाचार्य नवीन सागर जी महाराज की आगवानी की गई। रास्ते में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने आरती उतारी और पाद-पक्षालन किया। अंत में राजमार्ग स्थित त्रिमूर्ति मंदिर में एक धर्मसभा में बदल गई। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्यश्री दर्शन सागर जी महाराज ने कहा कि धर्म पुत्र हमेशा धर्म ही करता है, पाप नहीं और यही वजह है कि आज नगर में त्रिमूर्ति जैसा विशाल तीर्थ है। मेरे गुरु निर्मल सागर जी 1973 में सुसनेर आये थे। उन्हीं से मुझे नगर में तीर्थ समाज मंदिर बनाने की प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि 1991 में दीक्षा देने के बाद हमारा उनसे मिलन 26 वर्षो बरद आज हुआ है। कार्यक्रम की शुरूआत तरुण भैया ने मंगलाचरण से की।
इसके बाद आचार्य निर्मल सागर जी महाराज के चित्र का अनावरण किया गया। समाजजनों ने संतों का पाद प्राक्षालन कर उनको शास्त्र आदि भेंट कर नवीन पीछी भी भेंट की गई। मुनिश्री के साथ पद विहार कर आये समाजजनों का स्थानीय समाज ने सम्मान किया। इस अवसर पर पूर्व विधायक बद्रीलाल सोनी, नपा अध्यक्ष प्रतिनिधि डा, गजेंद्र सिंह चंद्रावत, राजमल जैन खूंपवाला, कोमलचंद्र जैन, प्रेमचंद्र जैन, कैलाश जैन खजांची, अशोक कंठाली, ललित सांवला, अशोक जैन, महावीर जैन सालरिया, बलवंत सिंह, विनोद जैन आदि सहित भारी संख्या में भक्तगण मौजूद थे।