आचार्य विद्यासागर महाराज के नाम से जानी जाएगी हबीबगंज रोड
भोपाल की हबीबगंज रोड अब आचार्य विद्यासागर मार्ग के नाम से जानी जाएगी। महापौर आलोक शर्मा ने गुरुवार को यह घोषणा की। हबीबगंज जैन मंदिर में आचार्यश्री की प्रेरणा से हथकरघा केंद्र का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर आचार्यश्री के सम्मान में यह घोषणा की गई।
पुराना शहर के चौक में गुरुवार को देवउठनी ग्यारस जैन समाज के लोगों के लिए खुशियां लेकर आई। अपने गुरुवर आचार्यश्री को शहर के प्राचीन जैन मंदिर में देख कर लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्हें उम्मीद ही नहीं थी कि आचार्यश्री अचानक यहां पधारेंगे। 14 साल बाद आचार्यश्री शाम 4 बजे जब हबीबगंज जैन मंदिर से अपने संघ के साथ पदविहार करते हुए यहां पहुंचे तो उनकी अगवानी के लिए भारी भीड़ थी। रास्ते में कई स्थानों पर रंगोली सजाई गई। महिलाएं हाथों में आरती की थालियां लिए खड़ी थीं। उनके चौक में प्रवेश करते ही भीड़ अनियंत्रित हो गई।
इसके पूर्व आचार्यश्री जहांगीराबाद जैन मंदिर में थोड़ी देर रुके। वे लिली चौराहा, इतवारा होते हुए चौक जैन मंदिर पहुंचे। उनके दर्शन के लिए जैन मंदिर के दोनों तरफ की सड़क खचाखच भर गई थीं। नमोस्तु गुरुवर और बैंड-बाजों के बीच आचार्यश्री मंदिर से निकल कर पास ही स्थित संत निवास पहुंचे। आचार्यश्री का चातुर्मास के लिए भोपाल आगमन 18 जुलाई को हुआ था। कुछ दिन पूर्व चातुर्मास समापन के बाद उनका पिच्छी परिवर्तन कार्यक्रम हुआ था।
आचार्यश्री के नाम पर होगी एक सड़क : सुबह हबीबगंज जैन मंदिर में आचार्यश्री के सान्निध्य में महापौर आलोक शर्मा ने हथकरघा केंद्र का शुभारंभ किया। आचार्यश्री ने इच्छा जताई की महात्मा गांधी के संदेशों को ध्यान में रखते हुए घर-घर हथकरघा होना चाहिए। महापौर ने घोषणा की कि वीर सावरकर सेतु से बोर्ड आफिस तक की सड़क का नाम आचार्यश्री के नाम पर होगा। उन्होंने मंदिर के पास ही हथकरघा केंद्र के लिए भूमि आवंटित कराने का आश्वासन भी दिया।
संत निवास पहुंचे
आचार्यश्री ने मंदिर में भगवान के दर्शन किए। वे करीब दस मिनट तक मंदिर में रहे। उन्होंने चौक जैन मंदिर की भव्यता की सराहना की। इसके बाद वे पास ही बने संत निवास पहुंचे। संत निवास के बाहर रात नौ बजे तक उनके दर्शन पाने के लिए लोगों की भीड़ मौजूद थी। आचार्यश्री कब तक यहां रुकेंगे। यहां से कहां जाएंगे, इसे लेकर लोग अटकलें लगा रहे हैं।
अचानक निकल पड़े
गुरुवार सुबह आचार्यश्री ने हबीबगंज जैन मंदिर में प्रवचन दिए। दोपहर तक किसी को भी इस बात का भान नहीं था कि इस मंदिर से आज वे विदा लेने वाले हैं। दोपहर करीब ढाई बजे आचार्यश्री ने कमण्डल व पिच्छी उठाई और अपने कक्ष से निकल कर बाहर आ गए। उन्हें बाहर जाते देख उनके संघ के अन्य मुनि भी उनके साथ चल दिए।
- Dainik Bhaskar