ललितपुर। शनिवार को संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में दयोदय गौशाला परिसर में स्थित मुनिसुव्रतनाथ जिनालय और मानस्तम्भ में पंचकल्याणक में प्रतिष्ठित प्रतिमाओं को विधि-विधान के साथ विराजमान किया गया। इसके साथ ही जिनालय पर कलशारोहण और ध्वजारोहण भी उत्साह के साथ किया गया।
इस अवसर पर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपनी अमृतमयी वाणी से श्रद्धालुओं को अभिसिंचित करते हुए कहा कि योग निग्रह के बाद भगवान ऋषभ देव कैलाश पर्वत से मुक्त हो गए। जिस कैलाश पर्वत से ऋषभ देव मोक्ष को प्राप्त हुए वहां अभी तक कोई नहीं पहुँच पाया है। हम यहीं से उनकी वंदना करते हैं।
उन्होंने भरत चक्रवर्ती का उदाहरण देते हुए कहा कि जब ऋषभ देव का मोक्ष हो गया तो उनकी आँखों में आंसू आ गए। वह शोक में डूब गए। वह इसलिए कि अब धर्मामृत पान करने का अवसर नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि तीर्थंकर के समवशरण में बैठना बहुत दुर्लभ होता है।
आचार्यश्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि पंचकल्याणक में प्रतिष्ठित होने के बाद भगवान अपने स्थान पर बैठ गए आप लोग क्या खड़े ही रहोगे? आप लोग भी भगवान जैसा बनने की भावनाएं भाएँ। यह संसार तो फीका-फीका है और फीका ही रहेगा। कहां से आये हैं कहां जाना है, पता ही नहीं, भटक रहे हैं। सच्चा सुख तो मोक्ष है। हमें भगवान ने जो स्वरूप प्राप्त किया है वह प्राप्त करने की दिशा में अपने कदम बढ़ाना चाहिए। भगवान की वाणी का अनुसरण कर अपना आत्मकल्याण करें।
आप लोगों ने आयोजन को सानंद सम्पन्न कर अहिंसा धर्म की प्रभावना की है। आप लोगों ने आदर्श काम किया है।
डॉ सुनील संचय ने बताया कि सुबह प्रवचन से पूर्व पदमचंद्र जैन परिवार और सुरेश जैन भारत गैस परिवार को आचार्यश्री के पाद प्रक्षालन का अवसर प्राप्त हुआ। मंदिर पर कलशारोहण करने का अवसर जिनेंद्र जैन पंसारी परिवार और नरेंद्र कड़ंकी परिवार को क्रमशः प्राप्त हुआ। मंदिर पर ध्वजारोहण करने का अवसर सुरेश जैन , विकाश जैन भारत गैस एजेंसी परिवार को मिला। छत्र चढ़ाने का सौभाग्य अखिलेश जैन गदयाना परिवार को और चंवर चढ़ाने का अवसर शीलचंद्र जैन बल्लू बछरावनी परिवार को प्राप्त हुआ। मंदिर में घंटा समर्पित करने का पुण्यार्जन नरेन्द्र कड़ंकी, डॉ. संजीव कड़ंकी, सुरेन्द्र, राकेश कड़ंकी परिवार ने किया। विधिनायक पर छत्र अनिल रसिया पाली और विधिनायक का सिंहासन स्थापित करने का अवसर बाबूलाल जैन, जिनेंद्र जैन चढ़रऊ परिवार को प्राप्त हुआ।
संचालन ब्र. विनय भैया जी ने किया। इस अवसर पर ललितपुर में शीतकालीन वाचना के लिए समस्त पदाधिकारियों ने आचार्यश्री को श्रीफल समर्पित किये वहीं बाहर से विभिन्न स्थानों से आये समाज के गणमान्य लोगों ने भी आचार्यश्री को उनके यहां पधारने के निवेदन के साथ श्रीफल समर्पित किये। इस अवसर पर नगर के होनहार कलाकार समय नामदेव पिता दीपक नामदेव द्वारा अपने हाथ से बनाई गई आचार्यश्री की मनमोहक छवि की पेंटिंग का भी विमोचन किया गया। इसे प्राप्त करने का अवसर डॉ. संजीव कड़ंकी, सार्थक कड़ंकी परिवार को प्राप्त हुआ।
इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु और समाज श्रेष्ठी उपस्थिति रहे।
आचार्यश्री का गौशाला से हुआ विहार :
दोपहर 2 बजे आचार्य विद्यासागर जी महाराज ससंघ का विहार पाली की ओर हो गया है। संभावित दिशा पुरातत्त्व के भंडार श्री देवगढ़ हो सकती है। जैसे ही लोगों को विहार की भनक लगी हजारों श्रद्धालु गौशाला की ओर दौड़ पड़े। नगरवासी यह मानकर चल रहे थे कि इतनी जल्दी आचार्यश्री विहार नहीं करेंगे, लेकिन सभी के कयास धरे रह गए और आचार्यश्री विहार कर गए।
-डॉ. सुनील जैन संचय