राघौगढ़ में आचार्य विद्यासागर महाराज की शिष्या आर्यिका रत्न अनंतमति माताजी ससंघ के सानिध्य में आत्म बोधि शिक्षण शिविर के शुभारम्भ हुआ। इस मौके पर अनंतमति माताजी ने शिविरार्थियों को बताया कि पंच-परमेष्ठी पांच होते हैं। अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु परमेष्ठी हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में आचार्य विद्यासागर महाराज में हमें पंच परमेष्ठी के दर्शन होते हैं। उन्होंने कहा कि पाचों परमेष्ठी के अलग-अलग गुण होते हैं।
लौकिक जीवन में हम जिस तरह मोबाइल नम्बर याद रखते हैं ठीक उसी तरह जैन धर्म के पंच परमेष्ठियों के मूलगुण भी याद रखने की प्रेरणा दी। विभाव से हटकर स्वभाव आने के लिए जैन धर्म का सूक्ष्म अध्ययन जरूरी है। जब तक हम जानने का प्रयास नहीं करेंगे, तब तक अज्ञानी माने जाएंगे। बता दें कि आत्मबोधि शिक्षण शिविर युवा एवं पुरुष वर्ग के लिए आयोजति किया गया है।