चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि वृक्ष होता है जिसकी शाखाये होती है उसमें से पहले कली खिलती है फिर फूल खिलता है फिर उसमें फल आता है । यह एक स्वतः होने वाली प्राकृतिक प्रक्रिया है । इसी प्रकार यह प्रतिभास्थली है जिसमे ये छोटी – छोटी बच्चियां पढ़ाई के साथ – साथ संस्कार भी ग्रहण कर रही है । आप लोगो की संख्या अभी कम है आप संख्या की चिंता मत करो आप अपना काम ईमानदारी से मन लगाकर करो तो आपको सफलता अवश्य ही मिलेगी और आप के नये सखा मतलब आपके नये मित्र भी यहाँ आयेंगे और आपकी संख्या भी बढ़ जायेगी। यहाँ इन बच्चों की पढ़ाई और संस्कार के लिए समाज का सहयोग मिलना आवश्यक है और इनकी शिक्षिकाएं भी अपने कर्तव्यों का पालन बहुत अच्छे से कर रही है । यहाँ पैसों का उतना महत्व नहीं है। आप लोग कहते है न की पैसा तो हाँथ का मैल है इसे निर्मल करने का इससे अच्छा और कोई उपाय नहीं है । समाज को इसके लिए हमेशा उत्सुक रहना चाहिए और प्रत्येक व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार यहाँ अपने पैसों का सदुपयोग करना चाहिये। यहाँ बच्चों का निर्वाह नहीं निर्माण हो रहा है जो भविष्य में इसे और आगे पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ाते रहेंगे । आप लोगो का प्रयास सराहनीय है और आगे भी आप लोग ऐसा ही सहयोग इन बच्चों को देंगे जिससे यह कार्य आगे चलता रहेगा व बढ़ता रहेगा ।
आज परम पूज्य संत शिरोमणि 108आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी को पड्गहान कर आहरदान देने का सौभाग्य ब्रह्चारिणी *आराधना दीदी गुना एवं ब्र जानकी रोटे सदलगा एवं उनके परिवार को प्राप्त हुआ है।
इसके लिये चंद्रगिरि ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री सुरेश जैन, कार्यकारी अध्यक्ष श्री किशोर जैन, डोंगरगढ़ जैन समाज के अध्यक्ष एवं चंद्रगिरि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष श्री सुभाष चन्द जैन, प्रतिभास्थली के संयुक्त मंत्री एवं चंद्रगिरि ट्रस्ट के ट्रस्टि श्री सप्रेम जैन, श्री अमित जैन, श्री निखिल जैन, श्री सारांश जैन एवं सकल जैन समाज डोंगरगढ़ ने उन्हे बधाई एवं शुभाकामनायें दी।
– निशांत जैन (निशु)
चंद्रगिरि डोंगरगढ़