सागवाड़ा – जहां महापुरुषों ने जन्म लिया उसे तीर्थ कहते हैं, आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जब जब धरती पर संकट आता है तब महापुरुषों का जन्म होता है। जहां महापुरुषों ने जन्म लिया उसे तीर्थ कहते हैं। तीर्थों की रक्षा करता है उसे तीर्थंकर कहते हैं। तीर्थंकर संसार सागर को पार कराने वाले होते हैं। आचार्य ने कहा कि जन्म से ही प्रभु इतने सुंदर होते हैं कि इंद्र उनके रूप के दर्शन करने के लिए दो नहीं हजार नेत्र धारण करते हैं। जग के कल्याण की इतनी सुंदर भावना कि उनके आते ही नरक के नारकी को भी कुछ समय के लिए शांति प्राप्त होती है।
भगवान के जन्म से ही उनके रस अतिशय प्रारंभ हो जाते हैं। आचार्य ने कहा कि अगर मां गर्भ काल में अच्छे विचार करती है तो वैसे ही विचार और संस्कार बालक में आते हैं। जो मां हमेशा टीवी पर टकटकी लगाए रहती है तो उसके बच्चे के आंखों में विकार आता है। जो मां गाने सुनती है उसके शिशु बहरे पैदा होते हैं। मां के गर्भ काल के संस्कार षोडश संस्कार के साथ अंतिम संस्कार तक काम आते हैं। आचार्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति के रिश्ते श्रद्धा और प्रेम की नींव पर टिके रहते हैं जबकि पाश्चात्य संस्कृति के रिश्ते ताश के पत्ते के समान होते हैं। इस अवसर पर समाज के पदाधिकारी और कई श्रद्धालु मौजूद थे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी