भगवान वासुपूज्य निर्वाण महोत्सव पर निर्वाण स्थली मंदारगिरी में निकाली गई भव्य शोभायात्रा , जैन श्रद्धालुओं ने चढ़ाया निर्वाण लाडू।


बौंसी (बाँका) बिहार। जैन धर्म के 12 वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी के महापरिनिर्वाण महामहोत्सव पर जैन अनुयायियों ने भगवान के निर्वाण स्थली मंदारगिरी में धूमधाम के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली।

शोभायात्रा श्री दिगम्बर जैन मंदिर से प्रारंभ होकर हनुमान चौक , बौंसी बाजार , गांधी चौक वापस वासुपूज्य द्वार , पंडा टोला , बारामती जैन मंदिर पापहरणी रोड के रास्ते गाजे-बाजे के साथ मंदार पर्वत तलहटी स्थित जैन मंदिर तक गई।

शोभायात्रा के पहले बौंसी स्थित कार्यालय जैन मंदिर में प्रातः अभिषेक , शांतिधारा , पूजन-अर्चना किया गया। सुसज्जित रथ पर विराजमान भगवान वासुपूज्य के दर्शनार्थ उमड़े लोग। इसके तत्पश्चात भगवान वासुपूज्य स्वामी के प्रतिमा जी को सजे-धजे भव्य रथ पर विराजमान कर भव्य शोभायात्रा के साथ रथयात्रा मंदार पर्वत के लिए प्रस्थान हुई।

रथ को रंग-विरंगे फूल-माला, बैलून,  पंचरंगा जैन ध्वज आदि से सुसज्जित भव्य तरीके से सजाया गया था। जो बहुत ही आकर्षक लग रहा था और लोगो को आकर्षित कर रहा था। जिसे देखने लोगो की हुजूम उमड़ पड़ी। रथ पर विराजमान भगवान वासुपूज्य की मनोहारी प्रतिमा श्रद्धालुओं को और भी आकर्षित कर रही थी। सभी की निगाहे सजे-धजे आकर्षित रथ पर थी।

जैन श्रद्धालु हर्षोल्लासपूर्वक झूमते – नाचते , भजन-कीर्तन, महामन्त्र णमोकार का जाप करते हुए चल रहे थे। इस दौरान जगह – जगह रथ पर विराजमान भगवान वासुपूज्य की मंगल आरती की गई ।

शोभायात्रा के आगे-आगे जैन पंचरंगा ध्वज , झंडा- पताका लिए श्रद्धालु जैन संदेश देते चल रहे थे। गाजे-बाजे , घंटी के मधुर धुन पर श्रद्धालु नृत्य करते रथयात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे। इस महोत्सव को लेकर जैन समाज के बीच खासा उत्साह था।

इस भव्य शोभायात्रा व निर्वाण महोत्सव में देश के कोने-कोने से सैंकड़ो की संख्या में जैन अनुयायी मंदार पहुंचे। शोभायात्रा के नगर भ्रमण के दौरान हवन में अर्पित धूप-चंदन से वातावरण पवित्र व सुगंधमय हुआ।

मंदार पर्वत शिखर स्थित मोक्ष कल्याणक स्थली पर चढ़ाया गया भव्य निर्वाण लाडू।

मीडिया प्रतिनिधि प्रवीण जैन ने बताया कि भगवान वासुपूज्य के तप, ज्ञान एवं पावन निर्वाण भूमि से सुशोभित मंदारगिरी पर्वत शिखर स्थित मोक्ष कल्याणक मंदिर में प्रभु के अत्यंत प्राचीन चरण पादुका के समक्ष एवं भगवान वासुपूज्य खड्गासन मंदिर में भव्य निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। निर्वाण लाडू आकर्षक ढंग़ से शुद्धिपूर्वक तैयार किया गया था। इससे पूर्व अभिषेक , महामस्तकाभिषेक, शांतिधारा , पूजन-पाठ आदि का कार्यक्रम सम्पन्न किया गया। संगीतमयी वातावरण में श्रद्धापूर्वक श्रद्धालु पूजा-पाठ , भक्ति-आराधना में लगे थे।

उत्तम ब्रह्मचर्य के साथ महापर्व दसलक्षण धर्म पूजा सम्पन्न।

इस बाबत क्षेत्र प्रबंधक पवन कुमार जैन ने बताया कि उत्तम ब्रह्मचर्य हमें सिखाता है कि परिग्रहों का त्याग करना जो हमारे भौतिक संपर्क से जुड़ी हुई है। अर्थात् सादगी से जीवन व्यतित करना सीखता है। कहा गया है कि उत्तम ब्रह्मचर्य का पालन करने से मनुष्य को पुरे ब्रह्माण्ड का ज्ञान और शक्ति प्राप्त हो सकती है।

बताया गया कि सिद्ध भूमि मंदारगिरी से जैनियों का बहुत ही आस्था है , हर जैन धर्मावलम्बी अपने जीवन में एक बार यहां जरूर आना चाहते है। इस आयोजन को सफल बनाने में मंदारगिरी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र प्रबंधन तैयारी में लगी हुई थी। विदित हो कि जैनियो के चल रहे दस दिवसीय महापर्व पर्युषण यानी दशलक्षण का समापन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के साथ हुआ।

इस दौरान जैन धर्म के कई अनुष्ठानो से मंदारगिरी क्षेत्र का वातावरण पवित्र हुआ और जैन धर्मावलंबियो ने विश्वशांति के लिए प्रतिदिन मंगल भावना सहित विशेष पूजन कर रहे थे।

भगवान वासुपूज्य निर्वाण महोत्सव में मांगलिक कार्यक्रम के सौभाग्यशाली।

  1. खवासी का सौभाग्य संदीप जैन पटना निवासी सपरिवार को प्राप्त हुआ।
  2. सारथी का सौभाग्य विपिन जैन , प्रवीण जैन पटना निवासी को प्राप्त हुआ।
  3. प्रथम निर्वाण लाडू चढ़ाने का सौभाग्य प्रकाश चंद जैन , एकता जैन टोंक राजस्थान निवासी को प्राप्त हुआ।
  4. भगवान वासुपूज्य के प्रथम कलश करने का सौभाग्य अजय जैन ऋषि जैन दिल्ली निवासी को प्राप्त हुआ।
  5. शांतिधारा करने का सौभाग्य प्रवीण विवेक जैन अजमेरा गया निवासी को प्राप्त हुआ।

इस अवसर पर क्षेत्र प्रबंधक पवन कुमार जैन के नेतृत्व में राकेश जैन , विपिन जैन , प्रवीण जैन , राहुल जैन , उपेन्द्र जैन , सोमेश जैन , शैलेश जैन , शिल्पी जैन , नीतू जैन , खुशी जैन , प्रीति जैन सहित काफी संख्या में जैन श्रद्धालु दिल्ली, राजस्थान , मध्यप्रदेश, बिहार-झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, आदि प्रांतो से भारी संख्या में पहुँचे जैन धर्मावलंबी उपस्थित हुए।

 

— प्रवीण जैन (पटना)


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