इंदौर, 8 बाल ब्रह्मचारी जैन युवाओं के अपने हाथों से सिर, दाढ़ी और मूछ के बाल उखाड़कर आचार्य विशुद्ध सागर जी से जैन परंपरानुसार विभिन्न क्रियाओं को पूरा कर एनसीसी ग्राउंड ढक्कनवाला कुआं पर हुए भव्य समारोह में जैनेरी दीक्षा ग्रहण की। इंदौर में 10 वर्षो बाद हुए जैनेरी दीक्षा के इस भव्य समारोह में देश भर से लगभग 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु धर्म की राह में अग्रसर होने वाले 8 युवाओं को दी गई दीक्षा के साक्षी बने। 8ओं युवाओं ने आचार्य विशुद्ध सागर जी के पावन सानिध्य में सबके सामने सांसारिक वस्त्रों का त्याग कर मन, वचन और काया से हुई किसी भी गलती के लिए प्रत्येक से क्षमायाचना कर जैन आगमानुसार दाढ़ी, मूंछ और सिर के बालों को उखाड़कर अलग किया।
इस दृश्य को देखने वालों के चेहरों पर दर्द और करुणा थी, वहीं 8ओं दीक्षार्थी मुस्करा रहे थे। दीक्षार्थियों ने समाज, परिवारीजन तथा माता-पिता से दीक्षा लेने की स्वीकृति ली और इसके बाद आचार्यश्री ने दीक्षा की स्वीकृति प्रदान कर दी। मंत्रोच्चार के साथ सभी दीक्षार्थियों का जलाभिषेक कर उनका शुद्धिकरण किया गया। आचार्य विशुद्ध सागर जी ने 8ओं दीक्षार्थियों से पुन: कहा कि मात्र कपड़े त्यागने से साधु नहीं हुआ जा सकता। अभी आपका दीक्षा संस्कार होना है अभी आप सिर्फ नग्न हुए हैं। यह मार्ग स्वच्छंदता का नहीं अपितु कठिन साधना का मार्ग है। यदि अभी भी मन में संसार में जाने की अभिलाषा है तो अभी भी वापस जाया जा सकता है किंतु 8ओं दीक्षार्थियों ने धर्म की कठोर साधनारत राह पर जाने का फैसला लिया।
सभी के मस्तक के ऊपर केशर से स्वास्तिक बनाया और हाथों में पुष्प व श्रीफल रख पंच परमेष्ठी की स्थापना करते हुए मंत्रोच्चार द्वारा दिगम्बर जैन मुनि दीक्षा देकर उनको पीछी, कमंडल प्रदान किये गये और उनका नामकरण कर दिया गया। आज से 8ओं दीक्षार्थी मुनि साध्यसागर (शिवम भैया), संगल्प सागर (दीपक भैया), मुनि सौम्यसागर (अक्षय भैया), मुनि सारस्वतसागर (भरत भैया), मुनि सद्धावसागर (रोहित भैया), मुनि संजयतसागर (आशीष भैया), मुनि संयतसागर (अतुल भैया) एवं मुनि साक्ष्य सागर (अमित भैया ) हो गये। इस अवसर पर आचार्य शिवसागर, ऐलाचार्य निजानंदसागर, उपाध्याय मुनि उर्जयंतसागर जी उपस्थित थे।