दुर्ग नगर में श्रमण संघ की 75 महिलाओं ने भिक्षुदया की पालना की और मंगलवार को एक दिन समूह में साध्वियों की तरह जीवन-यापन किया। सभी महिलाओं ने जैन समाज के घरों में द्वार-द्वार जाकर भिक्षा मांगी और भिक्षित भोजन को संग्रहित कर सभी ने एक साथ मिलकर भोजन ग्रहण किया। ऐसा कर इन्होंने साबित कर दिया कि आज के भौतिकतावादी युग में धर्म और आध्यात्म ही ऐसा साधन है, जो जीवन की नैया पार लगा सकता है। एक उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि महाज्ञानी रावण ने स्वयं अपनी मुक्ति के लिए सीता का हरण किया ताकि श्रीराम उसकी मुक्ति का कारण बने। धर्म सभा में महासती कंचन कुंवर द्वारा मंगल पाठ किया गया। इसके बाद श्रमण संघ की महिलाओं ने मिक्षुदया प्रतिक्रमण सीखने वालों के अलावा चातुर्मास काल में जैन शास्त्र की गाथा प्रतिक्रमण सीखने वाले लोगों का सम्मान किया।