1400 किमी. की पैदल यात्रा कर बिहार से इंदौर चातुर्मास के लिए विहाररत आचार्यश्री कीर्ति यश सूरीर जी महाराज के सानिध्य में 25 साधु एवं 35 साध्वी का दल सीहोर पहुंचा, जहां उनकी आगवानी करने हेतु श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई। आचार्य श्रीकीर्ति यश सूरीर जी महाराज के सानिध्य में 60 संतों का मंगल प्रवेश बाजे-बाजे के साथ किया गया। एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहा कि इंसान को अपने शरीर के साथ अपनी आत्मा की भी शुद्धि करनी चाहिए। आत्मा शुद्ध कैसे बने, इसके लिए आचार्यश्री ने जैन कथाओं का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि हम घर और आसपास की सफाई की बात तो करते हैं किंतु आत्मा और मन की सफाई कैसी होगी, इस पर हमारा ध्यान नहीं जाता है। इसलिए आत्मा और मन की सफाई के लिए ज्ञान की आवश्यकता है।
बिना ज्ञान स्नान के कभी भी आत्मा और मन की सफाई नहीं हो सकती। ज्ञान-स्नान का महत्व वेद, ग्रंथ और अध्यात्मिक ग्रंथों मात्र को पढ़ लेना भर नहीं है बल्कि उसे जीवन में आत्मसात और उतारने की जरूरत है। जब आत्मा की सफाई हो जाएगी तो आत्मा निखरेगी और मन स्वस्थ, प्रफुल्लित और शक्तिशाली हो जाएगा। बता दें कि जैन संतों का यह दल श्री सम्मेद शिखर (बिहार) से 68 दिनों पूर्व चला था, जो विभिन्न शहरों से होता हुआ इंदौर में समाप्त होगा। इस दौरान लगभग 1400 किमी. की पैदल यात्रा लगभग 80 दिनों में पूरी होगी। कार्यक्रम में समाज के दिलीप शाह, राजेश गोलेछा, जयंत शाह, गौतम शाह, निलेश श्रीश्रीमाल, सुरेंद्र गांधी, पिंटू गोलेछा सहित अन्य सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद थे।