किसी भी धर्म या संप्रदाय के प्रति यदि सच्ची श्रद्धा और भक्ति हो तो धर्म आड़े नहीं आता। जहां एक ओर एक-दूसरे के धर्म के प्रति असंवेदनहीन हुए लोग आपस में प्रतिस्पर्धा में जुटे रहते हैं, वहीं मुस्लिम समाज के एक बुजुर्ग साहिब खान जैन धर्म की मूल्य-मान्यताओं के इतनी आस्था और श्रद्धा है कि वे जैन धर्म का प्रतिक्रमण कर समाज के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। बता दें कि राजस्थान के मूल निवासी साहिब खान 5 समय नमाज अदा करते हैं। जैन धर्म के सिद्धातों के अनुसरण करने वाले साहिब खान का पिछले दिनों सम्मान किया गया।
साहिब खान हज और अजमेर यात्रा के साथ जैन क्षेत्र पालीताणा और शिखर जी के पैदल संघ यात्रा कर चुके हैं और इस वर्ष वे वर्षी तप की आराधनारत हैं। 77 वर्षीय किराना व्यवसायी संहिब खान के पिता रहीम खान राजस्थान के पाली से 20 किमी दूर कालापीपल ढ़ानी के निवासी हैं। साहिब खान 20 वर्षो से जमीकंद का त्याग कर चुके हैं। इसके अलावा प्रत्येक माह की उजली चौदस पर जेतारण दर्शन यात्रा पर जाते हैं। वे बताते हैं कि मैं पांचों समय का नमाजी हूं और इस वर्ष वर्षीतप में 6 माह में अब तक 11 किलो वजन कम कर चुका हूं।
साहिब खान को पाली जैन समाज उन्हें समाज के सदस्य के रूप में संत और तीर्थयात्रा में शामिल करता है। खान साहब बताते हैं कि 40 वर्ष पूर्व एक मित्र के साथ लोकमान्य जैन संत रूपचंद और मरुद केशरी केशरीमल के प्रवचन से जैन दर्शन से जुड़ा और तब से मन से जुड़ता चला गया। इस्लाम धर्म से होने और उसके प्रति भ आस्था के चलते उन्होंने हज यात्रा भी की है।
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