900 वर्ष प्राचीन श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन अतिशय तीर्थ पर 5 लाख का जुर्माना


06 सितम्बर, 2024 जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर बैंच ने टोंक जिले की दूनी तहसील में स्थित 900 वर्ष प्राचीन श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र सुदर्शनोदया तीर्थ की याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया। कोर्ट ने तीर्थ पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। न्यायमूर्ति पंकज भंडारी और न्यायमूर्ति प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि धार्मिक भावनाओं के आधार पर सरकारी, विशेष रूप से वन भूमि, पर अतिक्रमण की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत का यह फैसला ग्रामीण शंकरलाल द्वारा दायर जनहित याचिका और तीर्थ प्रबंधन की रिट याचिका के आधार पर दिया गया।

तीर्थ प्रबंधन की दलीलें:

900 वर्षों से स्थापित इस अतिशय तीर्थ के प्रबंधन ने अदालत में प्रस्तुत किया कि जिस पहाड़ पर तीर्थ स्थल स्थित है, वहां से भगवान महावीर स्वामी और भगवान पार्श्वनाथ की प्राचीन मूर्तियां प्राप्त हुई थीं, जो लगभग 200-300 वर्ष पुरानी हैं। जैन धर्म में इन मूर्तियों को पवित्र और अतिशयकारी माना जाता है, अतः इन्हें संरक्षित करने हेतु इस स्थान पर निर्माण आवश्यक था।

तीर्थ प्रबंधन की ओर से यह भी कहा गया कि विवादित खसरा नंबर वन भूमि नहीं है, और इसे वन भूमि घोषित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई थी। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि वन विभाग और जिला कलेक्टर के समक्ष इस भूमि के आवंटन के लिए आवेदन किया गया था।

अदालत की टिप्पणियां:

अदालत ने तीर्थ प्रबंधन से पूछा कि पहाड़ पर खुदाई किसकी अनुमति से की गई, और इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। अदालत ने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार, यह विवादित खसरा वन विभाग के नाम दर्ज हैं और यह गैर मुमकिन पहाड़ का हिस्सा है। तीर्थ की ओर से मूर्तियों की प्राप्ति का दावा पर्याप्त प्रमाणों के बिना किया गया था। अंततः अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह वन विभाग की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराए।


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