सागर। महावीर जयंती पर मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज का 33 वां दीक्षा दिवस समारोह है। मुनिश्री ने कहा है कि महावीर जयंती के पावन अवसर पर 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के स्वरूप को जन-जन तक पहुंचाएं यही दीक्षा दिवस समारोह होगा। मुनिसेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया की 31 मार्च 1988 को मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज की दीक्षा (तिथि के अनुसार महावीर जयंती को) दतिया जिले के प्रसिद्ध जैन तीर्थ क्षेत्र सोनागिर में हुई थी। मुनिश्री ने दीक्षा दिवस समारोह के संदर्भ में कहा की हर वर्ष महावीर जयंती पर दीक्षा दिवस मनाया जाता है, लेकिन कोरोना वायरस की महामारी के चलते इस समय सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने मुझे भगवान महावीर स्वामी के प्रतिनिधि के रूप में मुनि दीक्षा दी थी। अतः अलग से कोई कार्यक्रम नहीं करें। महावीर स्वामी के संदेशों को जन-जन तक फैलाना है, यह सच्ची श्रद्धा और भक्ति होगी। उल्लेखनीय है आचार्य श्री के द्वारा सोनागिर में मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज, मुनि श्री आर्जव सागर जी महाराज, मुनि श्री मार्दव सागर जी महाराज, मुनि श्री पवित्र सागर जी महाराज, मुनि श्री उत्तम सागर जी महाराज, मुनि श्री चिन्मय सागर जी महाराज (समाधिस्थ), मुनि श्री पावन सागर जी और मुनि श्री सुख सागर जी महाराज को दीक्षा प्रदान की गई थी।
गलती करने के बाद पश्चाताप करने का विचार मन में आता है तो कर्म तो कटते ही हैं। जीवन में कल कुछ नहीं है जो कुछ है आज है। जिसने आज को खो दिया उसका कल कुछ नहीं होगा।हमेशा आज पर ही भरोसा करो और कल के लिए कोई काम मत डालो। यह बात भाग्योदय में विराजमान मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज ने शनिवार को शंका समाधान ऑनलाइन कार्यक्रम में कही।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में बहुत लोगों का मन नहीं लग रहा है। अपने आप को रचनात्मक कार्यों में जोड़ो। जैसे साधुओं को भीड़ में नहीं एकांत में अच्छा लगता है और बहुत कुछ जो आत्म ध्यान का रसिक होता है वह सोचता है कि कब में उसमें समझाऊं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भीड़ के पीछे भागते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिनके पीछे भीड़ भागती ह। मैं क्या हूं यह मुझे पता नहीं है। उन्होंने कहा जिनकी सोच आध्यात्मिक होती है वह हमेशा सकारात्मक जवाब देता है। उसके जीवन में कितने ही उतार-चढ़ाव भले क्यों नहीं आए। वर्तमान में जो कार्यक्रम सुबह प्रसारित हो रहा है, शान्ति जाप रोज हो रही है। भावना योग हो रहा है। लोगों के मन की पीड़ा हताशा अवसाद से निकलना है तो आपको उल्लास की ज्योत जलाना होगी।
प्रधानमंत्री ने सभी को इसी उल्लास बढ़ाने के लिए 5 अप्रैल का जो 9 मिनट का कार्यक्रम बोला है। वह सामूहिक रूप से करना है, उत्सव का उत्साह हमारे अंदर बनाए रखना चाहिए। घर में तो जलसा करना चाहिए। भगवान महावीर के जो संदेश जियो और जीने दो और अहिंसा परमो धर्म थे पूरे विश्व में आज फलीभूत हो रहे हैं। गुंजायमान हो रहे हैं। इससे ऐसे संकट को दूर भगाया जा सकता है।
किसानों की स्थिति देखो हर समय परेशान रहते हैं
मनुष्य इसके भीतर निहित संदेश देखता है कि किसके पास कितना सोना कितना चांदी है। जिसके पास सब कुछ है लेकिन खाता तो सिर्फ रोटियां ही है। किसानों की स्थिति देखो सब कुछ करने के बाद भी हमेशा परेशान रहते हैं। संत कहते हैं अपरिग्रह के रास्ते में बढ़ो और सबको साथ लेकर चलना होगा। संकट के इस दौर में मानवता की सेवा में बढ़-चढ़कर हमें करना चाहिए। मुनि श्री ने कहा आत्मा की अमरता पर विश्वास करना चाहिए। तन नष्ट हो जाता है। शरीर में बीमारी आई है, शरीर हमारे जीवन में निर्वाह के लिए है। चिंता को अपने मन में रखना ठीक नहीं है। सब ठीक होगा। भावना योग करें, जाप करें, सावधानी रखें और मन पर लगाम लगाएं। यह संकट 100 फीसदी दूर हो जाएगा।
हर पत्थर भगवान नहीं बनता, उसकी साधना उसे पूज्य बनाती है
मुनि श्री ने कहा पत्थर का पुण्य नहीं पत्थर की साधना उसे भगवान बनाती है। हर पत्थर भी भगवान नहीं बनता। पत्थर जब सही तरीके से तराशा जाता है। शिल्पी के हजारों लाखों आघातों को सहता है तब वह भगवान बनता है। मनुष्य के भीतर यह क्षमता है, शांति के मार्ग पर अग्रसर हो। उन्होंने कहा पेड़ की जड़ें सुरक्षित हैं और यदि जड़ सुरक्षित रहती हैं तो कितने पतझड़ आये आप का कुछ नहीं बिगाड़ सकते। वह हमेशा हरा-भरा बना रहेगा आपकी निष्ठा ठीक होगी तो आपका कोई कुछ नहीं कर पाएगा।
— अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी