मुम्बई के मलाड में रहने वाले एक परिवार की तीन पीढ़ियों ने एक साथ दीक्षा ग्रहण की। 13 साल के संयम के साथ उनके पाता-पिता जयेश सांघवी एवं हेमल सांघवी तथा दादा हिम्मतभाई ने एक श्वेताम्बर जैन समुदाय की ओर से आयोजित कार्यक्रम में 3 जून को दीक्षा ग्रहण की। जानकारी के अनुसार पहले केवल 13 वर्षीय संयम को ही दीक्षा लेना था और 7वीं की परीक्षा देने के बाद से ही उसने दीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी आचार्य नयाचंद्रसागरसूरी के साथ 6 माह बिताने के बाद संयम के मन में दीक्षा लेने की भावना जागी। ऐसा अनूठा अवसर देखने को मिला जब एक ही परिवार की 3 पीढ़ियों (पुत्र, पापा-मम्मी एवं उनके दादा) ने एक साथ दीक्षा ग्रहण कर आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर हुए हैं।
आचार्यश्री ने बताया कि संयम का परिवार मूल रूप से नवगाम के पास पलिताना का रहने वाला है और हमने इस परिवार का लंबे समय से आध्यात्मिक झुकाव देखा है। दीक्षा से उन्हें आत्मज्ञान का मौका मिलेगा। 13 वर्षीय संयम के पिता जयेश के अनुसार हमारे बेटे का फैसला मेरे लिए एक सोच बदलने वाला बड़ाव की तरह था। जयेश मुम्बई की हीरा कम्पनी में काम करते हैं। उन्होंने बताया कि 17 वर्ष पूर्व मैं भी दीक्षा लेका भिक्षुक बनना चाहता था किंतु वह समय उपयुक्त नहीं था क्योंकि मेरे परिवार का पालन करना मेरा प्रमुख दायित्व था। अब हमने फैसला कर लिया कि संयम की यात्रा में उसके सहभागी बनें।
वहीं संयम के 80 वर्षीय दादा हिम्मतभाई से किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि वह उम्र के इस पड़ाव में दीक्षा लेंगे। 250 सदस्यी इस परिवार से पहली बार किसी ने दीक्षा ली है। दीक्षा लेने के बाद संयम का नाम पाश्र्वचंद्रसागर, जयेश का नाम आचार्यनंदसागर, हेतल का नाम साध्वी हेतरातना और हिम्मतभाई का नाम कुंतुचंद्रसागर कर दिया गया।