सिद्धों की अराधना हेतु सिद्धचक्र महामंडल विधान के चतुर्थ दिन 256 अर्घ्य समर्पित


जयपुर 2 मार्च। दिगंबर जैन मंदिर महारानी फार्म ,गायत्री नगर में 2 मार्च को शाम 7:30 बजे से आयोजित धर्मसभा में प्रतिष्ठाचार्य प्रदुम्न शास्त्री ने सिद्धचक्र महामंडल विधान के चतुर्थ दिवस के अवसर पर 148 कर्म प्रकृतियों के संबंध में विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।

मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष कैलाश छाबडा ने अवगत कराया कि मूलनायक बेदी पर श्री जी के प्रथम अभिषेक शांतिधारा जितेंद्र बैनाडा व बसंत बाकलीवाल तत्पश्चात सिद्धचक्र महामंडल पंडाल में अभिषेक शांतिधारा सोधर्म इद्र उदयभान जैन, चक्रवर्ती प्रदीप बाकलीवाल ,लान्तव इंद्र अनिल सोनी ,शुक्र इन्द्र वीरेंद्र अजमेरा महा शुक्र इंद्र राजेश बोहरा एवं सभी इंद्रों ने अभिषेक किए ।

मंडप पर प्रदुम्न शास्त्री जी के निर्देशन में, संगीतकार विकास एवं समाज सेविका सुनंदा अजमेरा की मधुर आवाज में 256 अर्घ्य सोधर्म इद्र — इंद्राणी उदयभान जैन- अनिता बड़जात्या ,वीरेंद्र मुकेश संगीता सोगानी, महायज्ञ नायक अनिल अमिता गोधा, चक्रवर्ती अनिल -बीना टोंग्या, महाशुक्र इन्द्र राजेश चेताली बोहरा, शतार इन्द्र कैलाश -मधु छाबड़ा आणत इंद्र पदम- विजय लक्ष्मी पाडंया,प्राणत इंद्र बसंत बीना बाकलीवाल, अच्युत इन्द्र पदम भावना झांझरी, आरण इंद्र प्रकाश रानी बाकलीवाल ब्रह्मोतर इंद्र गेंदमल इंदिरा जैन, सहस्त्रार इन्द्र अशोक कांता कासलीवाल प्रतीन्द्र इंद्र अजीत सरोज छाबड़ा ,द्रव्य पुण्यार्जक श्रीमती पुष्प लता छावड़ा, डोली अजमेरा ने मंडप पर अर्घ्य समर्पित किये।

मंदिर प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष अरुण शाह ने अवगत कराया चक्रवर्ती प्रदीप संगीता बाकलीवाल ने यंत्र पर अभिषेक व जल समर्पित किया। सांय महा आरती के पश्चात प्रवचन, प्रशन मंच हुआ प्रश्न मंच के पुण्यार्जक सारसमल- कमला देवी , पदम -भावना झांझरी परिवार थे।


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