चंदेरी के खंदारगिरि पर्वत पर आज से लगभग 2100 वर्ष पुराने ब्राह्मी लिपि के अक्षर सहित कई जैन चिन्ह मिले हैं, जो अभी तक अज्ञात थे। भारतीय पुरातत्व सव्रेक्षण के श्री त्रिवेदी द्वारा इसका उल्लेख सन 1971 की सव्रेक्षण रिपोर्ट में किया था कि चंदेरी की खंदारगिरि पर्वत श्रृखला पर पहली सदी ई.पू. की ब्राह्मी लिपि के कुछ अक्षरों के साथ जैन चिन्ह उकेरे गये हैं।
चंदेरी के इतिहास एवं पुरातत्व की पुख्ता जानकारी रखने वाले डा. अविनाश जैन द्वारा इनकी खोज की गई है। उनके अनुसार खंदारगिरि की पटघटिया से खंदारगिरि पर कटा पहाड़ नामक स्थान जहां से बाबर ने मोदिनीराय के कीर्तिदुर्ग पर अंतिम आक्रमण कर पराजित किया था, उसी स्थान पर जैन चिन्ह मिले हैं। डा. अविनाश के अनुसार मिले जैन चिन्हों में नंघावर्त स्वास्तिक, चकवामीन मिथुन, स्वतंत्र मीन (मछली), पदम (कमल), शंख, श्रीवत्स, वज्र, ध्वज और तालवृत्त (दर्पण) हैं।
ये सारे चिन्हें जैन तीर्थकरों के एवं मांगलिक चिन्ह हैं। इन्हीं के साथ एक शिलालेख संवत 1462 का भी मिला है। डा. अविनाश कुमार जैन ने भारतीय पुरातत्व सव्रेक्षण विभाग दिल्ली एवं भोपाल को पत्र के माध्यम से इनके प्राप्त होने की जानकारी दी है, जिससे इनकी वास्तविकता, प्राचीनता का पता लगाकर इसे संरक्षित किया जा सके।