2 हजार वर्ष पुरानी 1116 दुलर्भ प्रतिमाएं निकलेंगी भूगर्भ से बाहर, 27 नवम्बर से 5दिनी महोत्सव आयोजित


राजस्थान के भुजिया बाजार स्थित श्री चिंतामणि जैन मंदिर के गर्भ गृह में रखी 500 से 2000 वर्ष अति प्राचीन 1116 दुलर्भ अष्टधातु की प्रतिमाओं को बाहर निकाला जाएगा। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति मणिप्रभ सूरिर जी के पावन सानिध्य में 27 नवम्बर से शुरू होने वाले इस 5दिनी भव्य महोत्सव में सभी प्रतिमाओं का विशेष पूजन-अजर्न और अभिषेक किया जाएगा, जिसमें पूरे देश से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। दिनांक 1 दिसम्बर को सभी प्रतिमाओं को गर्भ गृह में विराजित कर दिया जाएगा। ज्ञातव्य हो कि उक्त सभी प्रतिमाएं विक्रम संवत 1639 में सीकर से लाकर बीकानेर के श्री चिंतामणि मंदिर के गर्भ गृह में रखवायी गई थी और तब से अभी तक उक्त प्रतिमाओं को मात्र 6 बार ही गर्भ गृह से श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ बाहर निकाला गया है।

महोत्सव के दौरान मंदिर परिसर में पांच महापूजन, प्रतिदिन पूजा-अर्जना, अभिषेक एवं दर्शन का आयोजन होगा। इससे पूर्व नवम्बर, 2009 में इन प्रतिमाओं को भूगर्भ गृह से अभिषेक और पूजन-अचर्न तथा श्रद्धालुओं के दर्शनाथ बाहर निकाला गया था। उक्त प्रतिमाएं 11वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य की हैं।

जानकारी के अनुसार विक्रम संवत 1633 में अकबर के सेनापति तुसमखान ने सिराही पर आक्रमण कर दिया और वहां के हिंदू मंदिरों में स्थापित प्रतिमाओं को उठवा लिया था और इन्हें गलाने हेतु फतेहपुर सीकरी ले जाया गया। इसके बाद बीकानेर के दीवान कर्मचंद्र बच्छावत ने प्रतिमाओं को गलाने से बचाने के लिए अकबर को बहुमूल्य उपहार देने का आग्रह किया। ससके बाद 1050 प्रतिमाओं के बदले उन्हें सोना देने के बाद उक्त प्रतिमाएं बीकानेर के दीवान को वापस कर दी गई। जिसके बाद विक्रम संवत 1639 में जैन समाज के श्रावक राजमहल गये और धूमधाम से प्रतिमाओं को चिंतामणि जैन मंदिर में लाकर विराजित की गई।


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