18 वर्षीय हिंदू लड़की लता वैष्णव बनने जा रही जैन साध्वी, दूल्हा-दुल्हन बनकर ऐसे मनाया अंतिम बर्थडे


राजस्थान के नागौर जिले के झीटियां गांव की जैन समाज से ताल्लुक न रखने वाली लता वैष्णव ने 18 वर्ष की अवस्था में पहुंचते ही अपने एक निर्णय से सबको चौंका दिया। उम्र के इस पडाव पर हर लड़की के दिल में अच्छे कैरियर बनाने, खूब धन-दौलत कमाने के साथ शादी के बंधन में बंधकर अपने जीवनसाथी के साथ जीवन जीने की चाह रखती है किंतु लता ने इन सब पर विराम लगाकर आगे का जीवन साध्वी के रूप में जीने का निर्णय लिया है।

लता का दीक्षा समारोह अगले माह पुष्कर में साध्वी इंदुप्रभा के सान्निध्य में होगा। लता के इस फैसले के बाद सभी परिवारीजनों की भी सहमति मिल गयी है। लता के साध्वी बनने से पूर्व 4 अप्रैल को पूरे परिवारीजनों ने उनका आखिरी जन्मदिन पूरे धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान लता को दुल्हन व दूल्हा दोनों के वेश में पोशाक पहनायी गयी थी तथा दूल्हे के रूप में पूरे गांव में उनका जलूस निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया तथा उनकी हर इच्छा पूरी की गई।

लता जैन धर्म से नहीं हैं किंतु उनके पिता सुखादास वैष्णव ने बताया कि खेतीबाड़ी के साथ छोटा सा कारोबार कर रहे परिवार में लता से पहले दो बेटियां थी। ऐसे में उनकी बेटे की चाह में उनकी पत्नी 14 बार गर्भवती हुई किंतु इसके बाद भी उन्होंने किसी के कहने पर जैतारण अमृत मुनि से भेंट की। जिन्होंने भविष्य में बेटी होने पर उन्हें गोद देने की बात कही।

सुखादास वैष्णव के यहां जैन मुनि की कृपा से पहले लता एवं 13 माह बाद बेटा गोपीकिशन पैदा हुआ। लिहाजा संत को दिये वचन के मुताबिक 4 वर्ष की अल्पआयु में ही लता को श्रीमतरुधर केसरी पावन धाम भेज दिया गया। जहां शिक्षा-दीक्षा के बाद अब वह साध्वी बनने की राह पर चल पड़ी हैं। लता का कहना है कि उन्हें इस बात से काफी खुशी है कि वह सब कुछ छोड़कर साध्वी बनकर आत्मज्ञान की राह पर अपना कदम बढ़ाने जा रही हैं क्यों कि मोक्ष की प्राप्ति तो वहीं से मिलती है।


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