ग्वालियर, यदि इरादा दृढ़निश्चय है तो कोई भी बंधन उसे रोक नहीं सकता। ऐसी ही एक घटना मध्य प्रदेश के शिवपुरी के जैन परिवार की एक युवती नीलम के दृढ़निश्चयपूर्ण दीक्षा के भाव 17 वर्ष के बाद भी उसे कोई रिश्ता-बंधन नहीं बांध सका। शिवपुरी के जल मंदिर के पास जैन कारोबारी रविंद्र चौरड़िया की बेटी नीलम 8 मार्च को विधिवत दीक्षा ग्रहण करेंगी। आज से लगभग 15 वर्ष बाल्यावस्था में ही नीलम ने सन्यासी जीवन जीने का फैसला कर लिया था किंतु परिवारीजन एवं मां ऊषा के आग्रह पर उस समय वे ऐसा न कर सकी और अपने परिवार के साथ ही रही। इसके बाद उन्होंने ईवेंट मैनेजमेंट की पढ़ाई की और एक प्रसिद्ध ईवेंट मैनेजर के रूप में प्रसिद्ध हो गई।
घर के लगातार दवाब एवं आग्रह करने के बाद भी उसने शादी नहीं की क्योंकि नीलम तो बाहरी भौतिकतावादी जीवन को त्याग कर सन्यासी जीवन जीना चाह रही थी। लगातार 17 वर्षो की जिद के बाद आखिरकार उनके परिवारीजन झुक ही गये और उन्होंने सन्यासी दीक्षा लेने की अनुमति दे दी। बता दें कि परिवार ने नीलम को शुरूआती पढ़ाई के बाद शिवपुरी से राजस्थान के एक जैन आश्रम में भेज दिया था। पढ़ाई के दौरान नीलम साधु-साध्वियों की संगत में ही रही और उनके दिशा-निर्देशन में भजन गाने लगी। ऐसा करते-करते उनके मन में टीनएज में वैराग्य की भावना प्रबल होती गयी। परिवारीजनों के बार-बार मना करने के बाद भी आखिरकार नीलम के दृढ़निश्चयी संकल्प के आगे उनको झुकना ही पड़ा अब नीलम 8 मार्च को जैन संत विजय जी महाराज और उनकी शिष्या साध्वी जिनेंद्र प्रभा से जैसलमेर में सन्यास की दीक्षा ग्रहण करेंगी।