धार जिले के एक छोटे से गांव नागदा में रहने वाला अचल श्रीमाल सन्यास लेकर जैन मुनि बनने जा रहा है। उसकी उम्र अभी सिर्फ 16 साल है, दुनिया के सुख और वैभव देखने से पहले ही उसने सबका त्याग कर दिया। अचल के सन्यास के रीति रिवाज शुरू हो चुके हैं।
मुकेश श्रीमाल जो कि हार्डवेयर और आटोपार्ट्स के कारोबारी है, इनका यहाँ अच्छा खासा कारोबार है और समृद्ध परिवार है, मुकेश श्रीमाल का 16 वर्षीय इकलौता बेटा अचल श्रीमाल करोडो की प्रापर्टी और कारोबार छोड अब जैन मुनि बनकर सन्यास लेने जा रहे है। घर मे बडी बहन याचिका श्रीमाल और दादा दादी अंकल सब है। अन्य बच्चो की तरह खेलने कूदने, घूमने फिरने और मोबाइल के शौकीन रहे अचल ने अब सन्यास की राह पकड ली है। पिछले डेढ़ वर्ष से अचल ने एसी पंखे जैसी तमाम भौतिक सुख सुविधाएं त्याग दी हैं।
जब से उसने जैन मुनि बनने का प्रण लिया है तब से प्रदेश और अन्य प्रदेशों के कई शहरों में अचल का जुलूस निकालकर स्वागत किया जा रहा है। 4 दिसंबर को जैन संत जिनेन्द्र मुनि ग्राम नागदा में ही अचल को दीक्षा देंगे। अचल ने नौ वी कक्षा तक पढ़ाई की है, छुटि्टयों में वे मुनियों के साथ विहार करने लगे और यहीं से मुनि बनने का निर्णय लिया।
अब तक वे आष्टा, भोपाल, शाजापुर, शुजालपुर समेत कई शहरों में 1200 किलोमीटर तक पैदल विहार कर चुके हैं। अचल का कहना है कि जब वे जैन मुनियो से संपर्क मे आये तो उनका मन जैन मुनि बनने का हुआ और तभी से वे सन्यास की ओर चलते गये, अब 4 दिसंबर को वे दीक्षा लेगे। साथ ही उनका कहना है कि सांसारिक सुख सुविधाओ मे कोई सुख नही है, इसलिये वे अनंत सुख की ओर अग्रसित हुए है, दूसरे लोगो को प्रेरणा देते हुए अचल कहते है कि ये जरुरी नही है कि संन्यास लेकर अहिंसा धर्म अपनाया जाये बल्कि लोग अपने घरो मे रहकर भी अहिंसा धर्म का पालन कर सकते है।
अचल अपने माता पिता के एकलौते पुत्र हैं। बावजूद इसके माता पिता ने अचल के इस इतने बड़े फैसले का साथ दिया। उन्होंने अचल को जैन मुनि बनने की हामी भर दी। उनका कहना है अचल के इस फैसले से उन्हें बहुत खुशी और गर्व हो रहा है। जिस उम्र मे बच्चे अपना कैरियर बनाने की सोचते है उस उम्र मे धार के ग्राम नागदा के अचल श्रीमाल ने सन्यास की ओर कदम बढाये है, वह करोडो की पापर्टी छोड जैन मुनि बनने जा रहे है और उनके इस फैसले मे उनके माता पिता ने भी भरपूर सहयोग किया, ऐसे मे हम भी कामना करते है कि जिस उद्देश्य को लेकर अचल श्रीमाल ने सन्यास की राह पकडी है वह जरुर पूरी हो।