मुरैना। अंबाह के गांव पुरावसकलां के बाहर खेतों में जैन धर्म के तीर्थंकरों की 3 प्रतिमाएं मिली हैं। इनमें से एक खंडित है। जबकि दो सही हालत में हैं। एक प्रतिमा स्तंभ में बनाई गई है। वहीं दूसरी खड़ी प्रतिमा की ऊंचाई करीब 6 फीट है। एक अन्य प्रतिमा खंडित है और बैठी हुुई मुद्रा में है।
पुरावसकलां निवासी ब्रजकिशोर सिंह तोमर ने बताया कि गांव के पास खेतों में सालों से प्राचीन प्रतिमाएं पड़ी हुई हैं। मंगलवार को उन्होंने कुछ जानकारों से बात की तो पता चला कि यह प्रतिमाएं काफी महत्वपूर्ण हैं। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर इन प्रतिमाओं की तस्वीरें डालीं।
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की मानें तो अंबाह से पहले भी जैन प्रतिमाएं निकल चुकी हैं। सिंहोनिया क्षेत्र से निकली जैन प्रतिमाओं को जैन धर्म के लोगों ने यहीं स्थापित भी किया था। इस इलाके को जैन अतिशय क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। यही वजह है कि पुरातत्व विभाग इन प्रतिमाओं को इसी इलाके की मान रहा है।
कैसे पहुंची प्रतिमा किसी को नहीं पता
ग्रामीणों की मानें तो यह प्रतिमाएं उनके बुजुर्गों के समय से ही यहां पड़ी हुई है। जमीन पर लेटी प्रतिमा में तीर्थंकर खड़ी हुई मुद्रा में हैं। यह प्रतिमा 6 फीट लंबी है। बैठी मुद्रा की जैन प्रतिमा खंडित है। एक स्तंभ पर कुछ प्रतिमाएं अंकित हैं। इसे पास ही में एक पुराने भवन में लगा हुआ देखा गया है। लोगों ने इन प्रतिमाओं को यहां नुकसान नहीं पहुंचाया है।पुरातत्व विभाग ग्वालियर के संज्ञान में आया मामला
यह मामला पुरातत्व विभाग ग्वालियर के संज्ञान में भी आया है। पुरातत्व विभाग ग्वालियर के मुताबिक इस मामले में जिला प्रशासन की सहायता से प्रतिमाओं को मुख्यालय पर लाया जाएगा। अधिकारियों को मुताबिक हो सकता है प्रतिमाओं को सालों पहले तस्करों ने ले जाने का प्रयास किया हो और असफल होने पर यही छोड़ दिया हो।
इनका कहना है
प्रतिमाओं की जांच कराने के बाद उन्हें संग्रहालय लाया जाएगा। वहां प्रतिमाएं कैसे पहुंची होंगी, यह नहीं कह सकते। हो सकता है कि सालों पहले कोई तस्कर इन्हें ले जाने का प्रयास कर रहा हो, लेकिन ऐसा न हो पाया हो।
पुरावसकलां निवासी ब्रजकिशोर सिंह तोमर ने बताया कि गांव के पास खेतों में सालों से प्राचीन प्रतिमाएं पड़ी हुई हैं। मंगलवार को उन्होंने कुछ जानकारों से बात की तो पता चला कि यह प्रतिमाएं काफी महत्वपूर्ण हैं। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर इन प्रतिमाओं की तस्वीरें डालीं।
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की मानें तो अंबाह से पहले भी जैन प्रतिमाएं निकल चुकी हैं। सिंहोनिया क्षेत्र से निकली जैन प्रतिमाओं को जैन धर्म के लोगों ने यहीं स्थापित भी किया था। इस इलाके को जैन अतिशय क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। यही वजह है कि पुरातत्व विभाग इन प्रतिमाओं को इसी इलाके की मान रहा है।
कैसे पहुंची प्रतिमा किसी को नहीं पता
ग्रामीणों की मानें तो यह प्रतिमाएं उनके बुजुर्गों के समय से ही यहां पड़ी हुई है। जमीन पर लेटी प्रतिमा में तीर्थंकर खड़ी हुई मुद्रा में हैं। यह प्रतिमा 6 फीट लंबी है। बैठी मुद्रा की जैन प्रतिमा खंडित है। एक स्तंभ पर कुछ प्रतिमाएं अंकित हैं। इसे पास ही में एक पुराने भवन में लगा हुआ देखा गया है। लोगों ने इन प्रतिमाओं को यहां नुकसान नहीं पहुंचाया है।पुरातत्व विभाग ग्वालियर के संज्ञान में आया मामला
यह मामला पुरातत्व विभाग ग्वालियर के संज्ञान में भी आया है। पुरातत्व विभाग ग्वालियर के मुताबिक इस मामले में जिला प्रशासन की सहायता से प्रतिमाओं को मुख्यालय पर लाया जाएगा। अधिकारियों को मुताबिक हो सकता है प्रतिमाओं को सालों पहले तस्करों ने ले जाने का प्रयास किया हो और असफल होने पर यही छोड़ दिया हो।
इनका कहना है
प्रतिमाओं की जांच कराने के बाद उन्हें संग्रहालय लाया जाएगा। वहां प्रतिमाएं कैसे पहुंची होंगी, यह नहीं कह सकते। हो सकता है कि सालों पहले कोई तस्कर इन्हें ले जाने का प्रयास कर रहा हो, लेकिन ऐसा न हो पाया हो।
- Naidunia.com